सहफसली खेती से संवारी जिदगी, दूर हुई गरीबी
जिले में चार हजार बीघे जमीन लीज पर ले खेती कर रहे शाहजहांपुर के किसान पड़ोसी जनपद की मंडियों का स्वाद बढ़ा रही यहां की सब्जी
बलरामपुर :एक तरफ लीज पर खेती को मुद्दा बनाकर राजनीतिक दल किसानों को भड़का रहे हैं। वहीं, शाहजहांपुर के करीब 300 किसान जिले में सहफसली खेती कर नजीर बन गए हैं।
जिले भर में करीब चार हजार बीघे जमीन लीज पर लेकर सब्जियां उगाकर न सिर्फ सालाना तीन लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि स्थानीय मजदूरों को रोजगार दिला रहे हैं। यहां उगाई गई सब्जियों की मांग पड़ोसी जनपदों की मंडियों में अधिक होती है। खास बात यह है कि ज्यादातर किसान नदी किनारे की जमीन पर खेती करते हैं। वजह, स्थानीय किसान बाढ़ व कटान के डर से यहां खेती कम ही करते हैं। ऐसे में बाहरी किसानों को कम कीमत पर खेती के लिए उपयुक्त जमीन मिल जाती है।
- शाहजहांपुर के किसान मंसूर अली, इलाही बक्श व ईशू अली समेत 12 किसानों ने रामनगर गांव में राप्ती नदी के किनारे करीब 100 बीघे जमीन लीज पर ले रखा है। मंसूर ने बताया कि पहले खेत की जोताई कर नालीनुमा बनाते हैं। सब्जी के बीजों में गोबर खाद व यूरिया का उपयोग कर पॉलीथिन से ढकते हैं। जो नमी व पाले से फसल को बचाता है। वर्तमान में करेला, टमाटर, लौकी, कद्दू, खीरा, हरी मिर्च, तोरई, शिमला मिर्च उगा रखी है। इसके लिए गांव के छोटू, अमरेश, बच्चा बाबू व दीपू समेत 20 मजदूरों को 300 रुपये दिहाड़ी पर रखकर रोजगार उपलब्ध कराया है।
खेतों के बीच बनाया आशियाना :
- किसान इलाही बक्श ने बताया कि वह लोग नवंबर में यहां परिवार के साथ आ जाते हैं। खेत के बीच में फूस का छाजन बनाकर सात माह तक रहते हैं। अपना तीज-त्योहार भी यहीं मनाते हैं। मई-जून में शाहजहांपुर लौट जाते हैं। गैर जनपदों में बढ़ी मांग :
-किसान ईशू अली ने बताया कि यहां उगाई गई सब्जी की मांग गोंडा, बहराइच, बाराबंकी व गोरखपुर की मंडियों में अधिक है। मौसम के अनुसार आढ़ती सब्जी की अग्रिम मांग कर लेते हैं। उनसे कुछ अग्रिम भुगतान लेकर खेती शुरू कर दी जाती है। बताया कि एक सीजन में प्रति किसान ढाई से तीन लाख रुपये की बचत करता है।