ट्रांसफार्मर की गुणवत्ता में खेल, विभाग-उपभोक्ता रहे झेल

गर्मी की तपिश दिनोदिन बढ़ती जा रही है। उमस से परेशान

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 11:22 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 11:22 PM (IST)
ट्रांसफार्मर की गुणवत्ता में खेल, विभाग-उपभोक्ता रहे झेल
ट्रांसफार्मर की गुणवत्ता में खेल, विभाग-उपभोक्ता रहे झेल

बलरामपुर : गर्मी की तपिश दिनोदिन बढ़ती जा रही है। उमस से परेशान लोगों पर बिजली कटौती भारी पड़ रही है। नगर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गई है। वजह कम क्षमता के ट्रांसफार्मरों की गुणवत्ता में बड़े पैमाने पर खेल किया जा रहा है। आलम यह है कि नए ट्रांसफार्मर भी थोड़ा सा लोड बढ़ते ही धू-धूकर जल जाते हैं। इससे लोगों को घंटों बिजली कटौती से जूझना पड़ता है। यही नहीं, ट्रांसफार्मर को लाने-ले जाने के लिए जिस एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह भी महज कागजों में फर्ज अदायगी कर रही है। खास बात यह है कि वर्कशाप के अभियंता ट्रांसफार्मर के गुणवत्ता की जांच किए बिना ही आपूर्तिकर्ता फर्म को क्लीन चिट देते हैं। इसका खामियाजा विद्युत विभाग व उपभोक्ताओं को घंटों बिजली कटौती के रूप में भुगतना पडता है।

नगर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए 3088 ट्रांसफार्मरों का उपयोग किया जा रहा है। इसमें सर्वाधिक 25 केवीए के 1625 ट्रांसफार्मर लगे हैं, जो हल्का लोड बढ़ते ही फुंक जाते हैं। योजनाएं तो खूब चलीं, लेकिन करीब 10 साल से ट्रांसफार्मरों की क्षमतावृद्धि नहीं हो सकी है। 500 केवीए का एक भी ट्रांसफार्मर जिले में नहीं है, जबकि बिजली की खपत बढ़ती जा रही है। इन ट्रांसफार्मरों से हो रही बिजली आपूर्ति :

जिले के चारों नगर निकायों व 800 ग्राम पंचायतों में 3088 ट्रांसफार्मरों के सहारे बिजली आपूर्ति हो रही है। इनमें से अधिकांश 10 साल पुराने हैं। 10 केवीए के 312, 16 केवीए के 611, 25 केवीए 1625, 63 केवीए 235 व 100 केवीए के 176 ट्रांसफार्मर लगे हैं। इसके अलावा 160 केवीए के चार, 250 केवीए 75 व 400 केवीए के 50 ट्रांसफार्मरों के सहारे उपभोक्ताओं को बिजली मुहैया कराई जाती है। 23 घंटे बाद ट्राली से मिली बिजली :

नगर से सटे धुसाह गांव में लगवा 100 केवीए ट्रांसफार्मर लोड बढ़ने के कारण रोजाना जल जाता है। गुरुवार को भोर में चार बजे गुल हुई बिजली शुक्रवार तड़के तीन बजे बहाल हुई। वजह, दो बार ट्रांसफार्मर बदला गया, जो तुरंत फुंक गया। ऐसे में ट्राली मंगाकर आपूर्ति चालू की गई। उपभोक्ता 23 घंटे बिना बिजली के गर्मी से तड़पते रहे। पहलवारा, घासमंडी मुहल्लों में भी बिजली कई घंटे गुल रही। गोंडा से आता है ट्रांसफार्मर :

वर्कशाप के अवर अभियंता रवि कुमार का कहना है कि कार्यदायी संस्था आरडी इंटरप्राइजेज गोंडा वर्कशाप को ट्रांसफार्मर आपूर्ति करती हैं। वहां से ट्रांसफार्मर यहां आता है। ट्रांसफार्मर जलने का मुख्य कारण गुणवत्ता नहीं बल्कि क्षमता वृद्धि न होना है।

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