गुलजार हुआ बाजार, धनतेरस का इंतजार

प्रकाश पर्व दीपावली को लेकर जिले के बाजार गुलजार हैं। धनतेरस की खरीद के लिए बाजार में होम अप्लाइंसेज आभूषण बर्तन ऑटोमोबाइल फर्नीचर कपड़े व घरेलू उपयोग के वस्तुओं के दुकानों की रौनक बढ़ गई है। ग्राहकों को लुभाने के लिए आकर्षक उपहार व विशेष छूट की धूम मची हुई है। चांदी के सिक्के व आभूषणों के दाम बढ़ने के बाद भी लोगों में उत्साह देखा जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Oct 2019 09:23 PM (IST) Updated:Mon, 21 Oct 2019 09:23 PM (IST)
गुलजार हुआ बाजार, धनतेरस का इंतजार
गुलजार हुआ बाजार, धनतेरस का इंतजार

बलरामपुर : प्रकाश पर्व दीपावली को लेकर जिले के बाजार गुलजार हैं। धनतेरस की खरीद के लिए बाजार में घरेलू उत्पाद, आभूषण, बर्तन, ऑटोमोबाइल, फर्नीचर, कपड़े व घरेलू उपयोग के वस्तुओं के दुकानों की रौनक बढ़ गई है। ग्राहकों को लुभाने के लिए आकर्षक उपहार व विशेष छूट की धूम मची हुई है। चांदी के सिक्के व आभूषणों के दाम बढ़ने के बाद भी लोगों में उत्साह देखा जा रहा है। धनतेरस में अब पांच दिन शेष होने से नगर व ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों में लोग जुटने लगे हैं। दीपावली में चांदी के गणेश-लक्ष्मी बने सिक्कों के पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि चांदी के सिक्कों की पूजा करने से महालक्ष्मी की कृपा होती है। साथ ही परिवार में शुभ-लाभ की प्राप्ति होती है। इसी को लेकर आभूषण विक्रेताओं के यहां हर साल धनतरेस पर चांदी के सिक्कों की जमकर खरीदारी की जाती है। सराफा व्यवसायी राजा गुप्त ने बताया कि चांदी के एक तोला पुराने सिक्के की कीमत 750 रुपये है। जबकि नया सिक्का 490 रुपये में उपलब्ध है।

दीपावली पर गणेश-लक्ष्मी के पूजन को लेकर बाजारों में आकर्षक मूर्तियों की दुकानें सजकर तैयार हैं। दीपावली में दीपक जलाने से पूर्व महिलाएं व परिवार के सदस्य गणेश-लक्ष्मी विधिविधान से पूजा-अर्चना कर परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। धनतेरस के दो दिन पहले नगर के झारखंडी मंदिर, वीर विनय चौराहा, मुख्य बाजार समेत भगवतीगंज व ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों में गणेश-लक्ष्मी की मनमोहक मूर्तियां दुकानों की शोभा बढ़ा रही हैं। दीपावली पर पूजन के लिए स्टील के बर्तनों की भी जमकर खरीदारी होती है। धनतरेस को लेकर ठठेरी बाजार में बर्तनों की दुकानों पर तैयारी शुरू कर दी गई। साथ ही मिट्टी के दीपक व घंटी की खरीदारी शुरू हो चुकी है। बताया जाता है कि कि मिट्टी की घंटी को उल्टा कर जलते हुए दीपक को रात भर ढककर रखा जाता है। सुबह घंटी में जमा कालेपन को लोग आंखों में काजल की तरह लगाते हैं। इसका उपयोग बच्चों का काजल बनाने में भी किया जाता है।

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