अब 'सोहेलवा' में नहीं सुनाई देती बाघ की दहाड़
कैमरा ट्रैप सेल की गणना में नहीं मिले बाघ 30 बाघों की चहल-पहल दशक भर पहले हुआ करती थी
विश्व बाघ दिवस:
अमित श्रीवास्तव, बलरामपुर:
सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग में कभी बाघ की गर्जना से आसपास गांवों के लोग सहम जाते थे, लेकिन अब यह गुम हो गई है। वन विभाग ने कैमरा ट्रैप सेल से जंगल में वन्य जीवों की मौजूदगी की गणना कराई है, जिसमें इसकी पुष्टि हुई।
452 वर्ग किलोमीटर में फैले सोहेलवा जंगल में हिरन, तेंदुआ, भालू, लकड़बग्घा, फिशिग कैट समेत अन्य वन्यजीवों का आश्रय होने के साक्ष्य मिले हैं। जबकि टाइगर की मौजूदगी नहीं मिली। दशक भर पहले यहां बाघों की संख्या करीब 30 थी। अब इनकी दहाड़ गुम हो चुकी है। खास बात यह है कि सोहेलवा को टाइगर रिजर्व घोषित करने की मांग वर्षो से की जा रही है। इस रिपोर्ट के बाद विराम लगना तय है। इससे वन्यजीव प्रेमियों में निराशा है।
बलरामपुर जिला भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 452 वर्ग किलोमीटर में फैला सोहेलवा वन्य जीव विहार रॉयल बंगाल टाइगर का एक महत्वपूर्ण प्राकृतवास था। इसकी स्थापना 1988 में की गई थी। इसके साथ 220 वर्ग किलोमीटर बफर जोन भी है। वन्य जीव विहार में तुलसीपुर, बरहवा, बनकटवा, पूर्वी सोहेलवा व पश्चिमी सोहेलवा रेंज हैं। यहां कई झीलें व पहाड़ी नाले हैं। इसमें कई ऐसे नाले हैं जिनका पानी कभी नहीं सूखता है। जिसका वातावरण पशु-पक्षियों को रास आता है। दशक भर पहले यहां बाघों की संख्या करीब 30 थी। इसके बाद बाघ गिनती के रह गए। डीएफओ प्रखर गुप्त का कहना है कि गणना में बाघ नहीं दिखे हैं। जबकि अन्य वन्य जीवों की उपलब्धता मिली है।
इनसेट:::
तेंदुआ की संख्या अधिक
-तेंदुआ -60, हिरन 153, चीतल 1047, सुअर 1160, फिशिग कैट नौ, नीलगाय 819, घुरल 17, सांभर 103, बंदर 3385, लंगूर 2413, लकड़बग्घा 61, लोमड़ी, 94, सियार 393, बिज्जू 32, जंगली बिल्ली 20, सेही 92, गोह आठ, मोर 176, खरगोस 18 व पांच भालुओं के जंगल में होने की पुष्टि कैमरा सेल से हुई है।