कठपुतली कला का कमाल, रोचक शिक्षा पाते नौनिहाल
प्राथमिक माडल विद्यालय धुसाह प्रथम में मिल रही कठपुतली शिक्षा निखर रही बचों की भाषा शैली
बलरामपुर: यूं तो यह एक सरकारी विद्यालय है, लेकिन यहां होने वाली शिक्षणेतर गतिविधियां इसे औरों से जुदा बनाती हैं। नित नवाचार से हमेशा सुर्खियों में रहने वाला सदर ब्लाक का प्राथमिक माडल विद्यालय धुसाह प्रथम इन दिनों शिक्षा की नवीन विधा से चर्चा का विषय बना हुआ है। विद्यालय में कठपुतली कला के जरिए बच्चों को खेल-खेल में रोचक ज्ञान परोसा जा रहा है। इससे न सिर्फ बच्चों का बौद्धिक विकास हो रहा है, बल्कि उनकी भाषा शैली भी निखर रही है। साथ ही नन्हे-मुन्ने घर के निष्प्रयोज्य कपड़ों से पपेट (कठपुतली) बनाने की कला सीख रहे हैं।
ऐसे मिल रही पपेट शिक्षा:
विद्यालय के शिक्षक देवेश कुमार मिश्र ने सीसीआरटी हैदराबाद में हुई कार्यशाला में शिक्षण में कठपुतली कला की सार्थकता का अध्ययन किया था। इसके बाद उन्होंने विद्यालय में कठपुतली कला से शिक्षा शुरू की। इसमें पुराने कपड़े, रंग, पतंगी कागज, डोरी के जरिए कठपुतली बनाकर बच्चों को कहानी दी जाती है। बच्चे अपने मन से कठपुतली के पात्रों का नाम रखकर उसकी साज-सज्जा करते हैं। कहानी के आधार पर बच्चे कठपुतली का प्रस्तुतीकरण करते हैं।
हैदराबाद से मिली किट:
प्रधानाध्यापिका डा. प्रतिमा सिंह ने बताया कि पपेट बनाने के लिए सीसीआरटी हैदराबाद से किट मिली थी। इस किट से पपेट बनाकर बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दी जाती है। नौनिहाल भी मनोरंजन के साथ कठपुतली बनाने में रुचि लेते हैं।
नजीर बना माडल विद्यालय:
बीएसए डा. रामचंद्र का कहना है कि प्रावि धुसाह प्रथम को जिले के पहले माडल विद्यालय का गौरव हासिल है। पूर्व में बच्चों को मराठी, गुजराती, तमिल, नेपाली, हरियाणवी समेत कई भाषाओं का बोध कराने पर विद्यालय का नाम मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पत्रिका में भी दर्ज हुआ था। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर्चुअल संवाद कर दीक्षा एप का अनुभव जान चुके हैं।