कैसे हो जल संचयन, सरकारी भवनों में उम्मीद दफन

एक सप्ताह हुई बारिश में बर्बाद हो गया हजारों लीटर पानी हरैया सतघरवा में बना एकमात्र प्लांट भी बदहाल

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 09:36 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 09:36 PM (IST)
कैसे हो जल संचयन, सरकारी भवनों में उम्मीद दफन
कैसे हो जल संचयन, सरकारी भवनों में उम्मीद दफन

बलरामपुर: सरकारी भवनों की नींव में रेन वाटर हार्वेस्टिग की उम्मीद दफन हो गई। कारण निर्माण के समय बिल्डिरों ने इसकी जरूरत नहीं समझी और बाद में अफसरों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में दूसरों को जल बचाने की नसीहत देने वाले अफसर अपने ही कार्यालय में इसे लागू नहीं करवा पा रहे हैं। सरकारी भवनों से निकलने वाला हजारों लीटर पानी प्रतिदिन बर्बाद हो रहा है। साथ ही बारिश का पानी भी इधर-उधर बह जाता है। खास बात यह है कि कलेक्ट्रेट और विकास भवन में भी रेन वाटर हार्वेस्टिग नहीं है। वर्षा जल को संचित करने के लिए सिर्फ विकास खंड हर्रैया सतघरवा में रेन वाटर हार्वेस्टिग प्लांट बना है। वह भी बदहाली का शिकार है।

लघु सिचाई विभाग ने विकास भवन व सदर ब्लाक में रेन वाटर हार्वेस्टिग प्लांट निर्माण के लिए प्राक्कलन तैयार कर भेजने का दावा किया है। जिले में दो दिन पूर्व एक सप्ताह लगातार बारिश हुई। बरसात का आलम यह रहा कि पहाड़ी नालों में उफान के साथ राप्ती नदी चेतावनी बिदु पार कर गई। यही नहीं, गौरा-तुलसीपुर मार्ग के डिपों पर तीन फीट पानी बहने से आवागमन भी प्रभावित हो गया। ऐसे में रेन वाटर हार्वेस्टिग प्लांट न होने से हजारों लीटर पानी बर्बाद हो गया।

विकास भवन, कलेक्ट्रेट, तहसील, कृषि भवन, संयुक्त चिकित्सालय, लोक निर्माण समेत अन्य सरकारी इमारतों की छत से वर्षा का पानी सीधे जमीन पर गिरकर बर्बाद हो गया। मानसून सक्रिय होने से पहले हर साल वर्षा के जल को संरक्षित करने के लिए गोष्ठियों का आयोजन तो खूब होता है, लेकिन फोटोग्राफी कराने के बाद आला अधिकारी भी इस विशेष मुद्दे को भूल जाते हैं। यही वजह है कि बारिश की बूंदों को सहेजने के ख्वाब पर पानी फिर रहा है।

..और बदहाल हो गया प्लांट:

जिले में हर्रैया सतघरवा ब्लाक में ही एकमात्र रेन वाटर हार्वेस्टिग प्लांट बना है। वर्षा का पानी संरक्षित करने के लिए बनाई गई पाइपलाइन रखरखाव के अभाव में क्षतिग्रस्त हो गई। इसके बाद अफसरों को इसकी मरम्मत का ख्याल नहीं आया। खंड विकास अधिकारी सागर सिंह ने बताया कि एक लाख 20 हजार रुपये की लागत से प्लांट तैयार हुआ था। जल्द ही पाइपलाइन की मरम्मत कराकर वर्षा जल को संरक्षित किया जाएगा।

बजट मिलते ही होगा निर्माण:

लघु सिचाई के अवर अभियंता सुशील कुमार का कहना है कि सरकारी विभागों के भवनों में वर्षा जल संचयन के लिए वाटर हार्वेस्टिग प्लांट का स्टीमेट तैयार किया जा रहा है। बजट मिलते ही प्लांट का निर्माण कराया जाएगा।

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