पुलिस कराती अक्षर ज्ञान, बढ़ा रही वर्दी की शान
प्रौढ़ों को साक्षर बना रही खाकी की पाठशाला नौ थानों पर 42 प्रौढ़ पूरा कर रहे साक्षर बनने का सपना
बलरामपुर : 'छोटा अ से अनार, बड़ा आ से आम..क से कबूतर..ज्ञ से ज्ञानी।' यूं तो यह ककहरा अमूमन परिषदीय व निजी स्कूलों में गुरुजन बच्चों को पढ़ाते हैं। इससे इतर इन दिनों वर्णमाला की यह गूंज जिले के थानों में सुनाई दे रही है। खास बात यह है कि यह अक्षर ज्ञान बच्चों को नहीं, बल्कि निरक्षर प्रौढ़ों को दिया जा रहा है।
जी हां, जिले की पुलिस की नई छवि सामने आई है। अपराध व अपराधियों पर नकेल कसने के साथ ही खाकी अब गुरुजी की भूमिका भी निभा रही है। पुलिस अधीक्षक की पहल पर जिले के नौ थानों में खाकी की पाठशाला शुरू की गई है। इसमें महिला व पुरुष पुलिसकर्मी निरक्षर प्रौढ़ लोगों को थाने बुलाकर अक्षर ज्ञान करा रहे हैं। उनको वर्णमाला की पहचान कराकर पढ़ने-लिखने, बोलने व हस्ताक्षर करने का तरीका बताया जा रहा है। 42 प्रौढ़ों को मिल रहा लाभ
यूं तो साक्षर भारत मिशन के तहत बेसिक शिक्षा विभाग ने 18 वर्ष से अधिक आयु के निरक्षर महिला-पुरुषों को पढ़ाने की जिम्मेदारी प्रेरकों को सौंपी थी। प्रेरक का पद समाप्त होने के बाद गांवों में अधिकांश प्रौढ़ शिक्षा पाने से वंचित हो गए। ऐसे में, जिले के एसपी हेमंत कुटियाल ने मित्र पुलिस की तस्वीर को साकार करते हुए थानों पर शिक्षा की अलख जगाने की मुहिम छेड़ दी। यहां जल रही शिक्षा की ज्योति
देहात कोतवाली, सादुल्लाहनगर, रेहराबाजार, हर्रैया सतघरवा, ललिया, पचपेड़वा, तुलसीपुर, गौरा चौराहा व महराजगंज तराई थानों में साक्षरता की मुहिम शुरू की गई है। अब तक उक्त थानों में 42 प्रौढ़ इस मुहिम से जुड़कर साक्षर होने का ख्वाब पूरा कर रहे हैं। ऐसे दी जा रही शिक्षा
थानों पर तैनात स्टाफ शिफ्टवार प्रौढ़ों को सुविधा अनुसार स्कूलों व थानों पर एकत्र कर उनकी कक्षा संचालित करते हैं। थाना प्रभारी की देखरेख में निरक्षरों को पाठ्य पुस्तक व कलम-कापी देकर नियमित रूप से एक घंटे ककहरा सिखाया जाता है। आमतौर पर महिला आरक्षी ही एक शिक्षिका की भूमिका निभाती हैं। इसमें पुरुष आरक्षी भी उनका सहयोग करते हैं। खास बात यह है कि इसके बदले किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। ताकि पूरा हो साक्षरता का सपना
एसपी हेमंत कुटियाल का कहना है कि साक्षरता का सपना पूरा करने के लिए थाने पर खाकी की पाठशाला शुरू की गई है। भविष्य में तीन कोतवाली व महिला थाना में भी पाठशाला शुरू होगी। वहीं, क्षेत्राधिकारी पाठशाला की निगरानी करते हैं।