ओम नम: शिवाय : विशाल शिव मंदिर सिंहपुर आस्था का केंद्र

सदियों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर में विशालकाय प्राकृतिक शिवलिग का दर्शन-पूजन करने के लिए प्रत्येक सोमवार शुक्रवार महाशिवरात्रि व कजरी तीज पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 09:47 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 09:47 PM (IST)
ओम नम: शिवाय : विशाल शिव मंदिर सिंहपुर आस्था का केंद्र
ओम नम: शिवाय : विशाल शिव मंदिर सिंहपुर आस्था का केंद्र

बलरामपुर: हरैया सतघरवा विकास खंड के ग्राम पंचायत सिंहपुर के मजरे अंधरीजोत में विशाल शिव मंदिर स्थित है। जो सदियों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर में विशालकाय प्राकृतिक शिवलिग का दर्शन-पूजन करने के लिए प्रत्येक सोमवार, शुक्रवार, महाशिवरात्रि व कजरी तीज पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सावन माह में शिवलिग पर जलाभिषेक के लिए यहां श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से की गई पूजा का फल भक्तों को जरूर मिलता है। इतिहास :

-यह मंदिर लगभग 200 से अधिक वर्ष पुराना है। जानकारों के मुताबिक बलरामपुर रियासत के तत्कालीन महाराजा पाटेश्वरी प्रसाद अपने सैनिकों के साथ जा रहे थे। अचानक रास्ते में वह एक झाड़ी के पास विश्राम करने लगे। रात में भोलेनाथ ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि इस झाड़ी में शिवलिग है। यहां मंदिर का निर्माण कराओ। राजा ने झाड़ी की सफाई कराई तो वहां सचमुच शिवलिग निकला। राज परिवार ने यहां विशाल मंदिर का निर्माण कराया। उत्तरी छोर पर एक एकड़ में जलाशय का निर्माण कराया गया। मंदिर के दक्षिणी भाग में माता काली व उत्तरी भाग में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित है।

तैयारियां :

-सावन माह शुरू होते ही मंदिर का रंग-रोगन शुरू कर दिया गया। प्रकाश व पेयजल की व्यवस्था मंदिर समिति करवाता है। मंदिर परिसर की साफ-सफाई पर विशेष जोर दिया जा रहा है। भक्तों की सुविधा के लिए यहां फूल माला, बेल पत्र व पूजन सामग्री की दुकानें सजाई गईं हैं। - मंदिर में भोलेनाथ का पूजन-अर्चन रियासत के दौर से किया जा रहा है। सावन माह, कजली तीज, शिवरात्रि में जलाभिषेक के लिए सुदूर क्षेत्रों से लोग आकर पूजन करते हैं। भोलेशंकर का पूजन-अर्चन करने से सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।

-कामेश्वर गिरि, पुजारी

-मंदिर परिसर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है। सभी पर्व पर मंदिर की रंगाई-पोताई कराई जाती है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए परिसर में कई बार सैनिटाइजेशन कराया गया है। मंदिर गेट पर सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है। समिति की ओर से मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए पेयजल व प्रसाद की समुचित व्यवस्था की जाती है। महिलाओं को जलाभिषेक कराने के लिए अलग प्रवेश द्वार बनाया जाता है।

-नंदकिशोर जायसवाल, संरक्षक

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