ओम नम: शिवाय:: साहेबनगर शिव मंदिर की अनोखी कहानी
गांव से बाहर बना होने के कारण भक्त इसे औढरदानी का प्रिय स्थान मानते हैं। सावन कजरी तीज अधिमास व शिवरात्रि में शिवलिग का जलाभिषेक करने के लिए दूर-दराज से लोग यहां आते हैं।
बलरामपुर: महराजगंज तराई क्षेत्र के साहेबनगर गांव में स्थित प्राचीन शिव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। गांव से बाहर बना होने के कारण भक्त इसे औढरदानी का प्रिय स्थान मानते हैं। सावन, कजरी तीज, अधिमास व शिवरात्रि में शिवलिग का जलाभिषेक करने के लिए दूर-दराज से लोग यहां आते हैं। मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित बाबा गोपाल दास की कुटिया शिव भक्तों के आकर्षण का केंद्र है। यह मंदिर कौवापुर रेलवे स्टेशन से सात किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इतिहास:
- साहेबनगर शिव मंदिर करीब 150 वर्ष पुराना है। लोग बताते हैं कि क्षेत्र में रहने वाले बाबा हुल्लरदास ने इसका निर्माण कराया था। इसके लिए उन्होंने स्थानीय लोगों से धनराशि एकत्र की, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद मंदिर की देखभाल व मरम्मत न होने के कारण भवन जर्जर हो गया। कुटी के बाबा गोपालदास इसका जीर्णोंद्धार करने की तैयारी कर रहे हैं।
तैयारियां :
- भगवान भोलेनाथ की आराधना वाले दिनों में मंदिर परिसर की विधिवत साफ-सफाई तो होती है, लेकिन पुरानी मान्यताओं के कारण लोग भवन की मरम्मत व रंगाई-पोताई नहीं कराते हैं। परिसर के बाहर बेल पत्र, भांग, धतूर समेत अन्य पूजन सामग्रियों की दुकानें लगती हैं। सावन के अंतिम सोमवार को मंदिर पर मेले का आयोजन भी होता है। - गांव के दक्षिण में स्थित शिवालय की विशेष मान्यता हैं। सावन व कजलीतीज में कांवड़िया राप्ती से जल लाकर नीलकंठ महादेव का जलाभिषेक करते हैं। सावन के आखिरी सोमवार को कुटी पर मेला व भंडारा भी होता है। इसमें लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।
- बाबा गोपाल दास, पुजारी - मंदिर परिसर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। जलाभिषेक के लिए नियमित कुंए की सफाई भी होती है। शिव की आराधना वाले विशेष दिनों में यहां रुद्धाभिषेक व ओम नम: शिवाय का जाप भी कराते हैं।
- पथिक जायसवाल, मंदिर सहयोगी