ओम नम: शिवाय:: रेणुकानाथ शिव मंदिर में मिलती है पांडवों से जुड़ी कहानी

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By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 10:22 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 10:22 PM (IST)
ओम नम: शिवाय:: रेणुकानाथ शिव मंदिर में मिलती है पांडवों से जुड़ी कहानी
ओम नम: शिवाय:: रेणुकानाथ शिव मंदिर में मिलती है पांडवों से जुड़ी कहानी

बलरामपुर: सदर ब्लाक के गिधरैय्या गांव स्थित रेणुकानाथ मंदिर का महात्म्य पांडवों से जुड़ा हुआ है। महाशिवरात्रि, कजरी श्रावण के प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को यहां मेला लगता है। मंदिर की स्थापना से ही यहां एक प्राचीन कुआं स्थित है। को यहां मेला लगता है। मंदिर की स्थापना से ही यहां एक प्राचीन कुआं स्थित है। जिसमें गंगोत्री, यमुनोत्री व सरयू सहित अन्य पावन नदियों का जल है। यहां आने वाले भक्त इसी कुएं के जल से भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं। इस मंदिर को शत्रु पर विजय के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इतिहास:

- स्थानीय बुजुर्गो के अनुसार मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। द्वापर युग में पांडवों के अज्ञातवास पर थे। जब भीम ने कीचक का वध किया तो कौरवों को पता चला कि पांडवों ने श्रावस्ती के महराज विराट के यहां शरण ले रखी है। महाभारत में विजय प्राप्ति के लिए श्रीकृष्ण की प्रेरणा पर पांडवों ने यहां शिविलिंग की स्थापना कर मंदिर बनवाया। जिसका नाम रणहुआ मंदिर पड़ा। बाद में यह रेणुकानाथ मंदिर के नाम से विख्यात हुआ। करीब पांच सौ वर्ष पूर्व अंग्रेजी शासनकाल में खुदाई के दौरान यह शिवलिग निकला था। ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से मंदिर बनवाकर पूजा-अर्चना शुरू कर दी। 19वीं सदी के पूर्व गिथरैय्या गांव में हैजा फैलने पर ग्रामीणों ने भोलेनाथ की आराधना की। शिव की कृपा से गांव में फैली महामारी दूर हो गई। तैयारियां:

-सावन माह में मंदिर की विशेष साफ-सफाई की गई है। मंदिर में श्रद्धालुओं के जलाभिषेक के लिए एक व्यक्ति को कुएं से जल भरने के लिए लगाया गया है। मंदिर के पास ही पुष्प, बेलपत्र, भांग, धतूर समेत अन्य पूजन सामग्रियों की दुकानें भी सोमवार व शुक्रवार को लगाई जाती हैं। मंदिर में शिव कीर्तन व रुद्राभिषेक के लिए भी इंतजाम किए गए हैं। -वैसे तो यहां हर सोमवार को भक्त भोलेनाथ का पूजन-अर्चन करने आते हैं, लेकिन सावन में यहां भारी भीड़ जुटती है। यहां सच्चे मन से की गई भोलेनाथ की पूजा करने वाले को फल अवश्य मिलता है। कजरीतीज, शिवरात्रि व सावन में भोलेनाथ के पूजन का विशेष महत्व है।

- विश्वनाथ गिरि, पुजारी -कोरोना संक्रमण के कारण इस सावन माह में विशेष तैयारी की गई है। परिसर का सैनिटाइजेशन कराया गया है। भोलेनाथ का जलाभिषेक करने में भक्तों को असुविधा न हो, इसके लिए महिलाओं व पुरुषों की अलग-अलग लाइन लगाई जाती है। मंदिर की नियमित सफाई की जाती है। जल भरने के लिए मंदिर समिति के एक सदस्य को लगाया गया है। ताकि पानी के लिए भक्तों को भटकना न पड़े।

-बजरंगी गिरि, व्यवस्थापक

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