बढ़ रहा दुर्व्यवहार, अपनों की बेरुखी से बुजुर्ग लाचार
संबंधों की कदर न उम्र का लिहाज बूढ़ी आंखों में आज भी छलकता है दर्द
बलरामपुर: कोरोना काल के बाद से बुजुर्गो के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं बढ़ रही हैं। हालांकि इसे रोकने के लिए कई कानून बने हैं, लेकिन वह बेमतलब साबित हो रहे हैं। बुजुर्गों से दुर्व्यवहार मामलों में पुलिस केस दर्ज कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ले रही है। कोरोना काल के चलते परिवार परामर्श केंद्र व परिवार न्यायालय बंद चल रहे हैं।
ऐसे में, अपनों की बेरुखी से लाचार बुजुर्ग डांट फटकार व दुत्कार खाकर भी कहीं शिकायत करने की जगह उनमें प्यार व सम्मान ढूंढ़ रहे हैं। खास बात यह है कि पुलिस बुजुर्गो से दुर्व्यवहार के मामले में दिलचस्पी नहीं ले रही है। वह कभी पारिवारिक मामला तो कभी संपत्ति विवाद से जोड़कर खानापूर्ति कर लेती है। आंखों में आंसू लिए बुजुर्ग सब बर्दाश्त करते हैं या फिर घर बार छोड़ देते हैं। गौरा रोड पर वृद्धाश्रम में अपनों से ठुकराए 45 बुजुर्ग आज भी रोज राह निहार रहे हैं कि शायद उनके अपनों को गलती का एहसास हो जाए, लेकिन वे हर दिन निराश हो जाते हैं।
छोटी-छोटी शिकायतें लेकर भटक रहे बुजुर्ग:
देहात कोतवाली के झलहिया की बुजुर्ग लक्ष्मी मिश्रा को गांव के ही कुछ लोग तंग कर रहे हैं, लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली, वृद्धा समेत अन्य किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा। गांव के लेखपाल ने सालाना 42 हजार रुपये का आय प्रमाणपत्र देकर योजनाओं से महरूम कर दिया। कई बार उसने अफसरों के यहां दस्तक दी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। यह तो महज बानगी भर है। समूचे जिले में 50 से अधिक ऐसे वृद्ध हैं जो अपनों व गैरों से परेशान होकर भटक रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
अपर जिलाधिकारी अरुण कुमार शुक्ल ने बताया कि यदि कोई वृद्धा व बुजुर्ग परेशान है तो वह शिकायत कर सकते हैं। प्रशासन सहयोग के लिए पूरी तरह तैयार है।