ओम नम: शिवाय: पोखरा बताता है जोड़ग्गा पोखरा शिव मंदिर का इतिहास

यहां प्रत्येक सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। मंदिर में स्थित पोखरा का भी विशेष महत्व है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 10:15 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 10:15 PM (IST)
ओम नम: शिवाय: पोखरा बताता है जोड़ग्गा पोखरा शिव मंदिर का इतिहास
ओम नम: शिवाय: पोखरा बताता है जोड़ग्गा पोखरा शिव मंदिर का इतिहास

बलरामपुर: जोड़ग्गा पोखरा शिव मंदिर:

तुलसीपुर नगर में मध्यनगरी मार्ग पर स्थित ऐतिहासिक जोड़ग्गा पोखरा शिव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां प्रत्येक सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। मंदिर में स्थित पोखरा का भी विशेष महत्व है। यहां आने वाले श्रद्धालु इस पोखरे में स्नान करने के बाद भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि, कजरी तीज, मलमास व सावन माह में भगवान शिव के पूजन-अर्चन के लिए यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है। इतिहास:

बताया जाता है कि तुलसीपुर के राजा दानबहादुर सिंह ने यहां पोखरा व शिव मंदिर स्थापित कराया था। राजा की पत्नियां पोखरे में स्नान करने की बाद महादेव शिव की पूजा-अर्चना करती थीं। तभी से इस मंदिर में श्रद्धालु भोलेनाथ का पूजन-अर्चन करते आ रहे हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से भोलेनाथ की आराधना करने वालों की मनोकामना जरूर पूरी होती है। तैयारियां:

सावन आते ही यहां के पुजारी व सहयोगी शिव मंदिर पर होने वाले भीड़ को देखते हुए पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती है। समूचे मंदिर की विशेष सफाई की जाती है। पोखरे के आसपास व सीढि़यों पर गंदगी को ब्लीचिग पाउडर से साफ किया जाता है। जलाभिषेक के लिए शिवलिग को फूलों से सजाया जाता है। -तीन पीढि़यों से इस मंदिर की देखरेख व पूजा कर रहा हूं। वैसे तो यहां हर सोमवार को भक्तों की भीड़ लगती है, लेकिन सावन सोमवार को जलाभिषेक के लिए यहां होड़ मची रहती है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आकर पूजा करते हैं। प्रतिदिन लोग यहां पर रुद्राष्टाध्यायी से दुग्ध, जल का अभिषेक भी करते हैं।

-पुजारी गिरि, व्यवस्थापक -मंदिर के बेहतर विकास के लिए सतत प्रयास किया जा रहा है, जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को असुविधा न हो। यह मंदिर पहले जर्जर था। इसका जनसहयोग से सुंदरीकरण कराया गया है। मुख्य मंदिर के सामने शिव परिवार की मूर्ति स्थापित कराई गई है। शिव भक्तों की मांग थी कि शिवलिंग के अलावा शिव परिवार भी हो ताकि एक साथ सब की पूजा की जा सके।

-बजरंगी, सहयोगी

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