यहां दिल के मरीजों का नहीं है इलाज, मरीजों को जाना पड़ता लखनऊ और दिल्ली

कार्डियोलाजिस्ट की नहीं हो सकी तैनाती हार्ट अटैक से जा रही जान

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 11:00 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 11:00 PM (IST)
यहां दिल के मरीजों का नहीं है इलाज, मरीजों को जाना पड़ता लखनऊ और दिल्ली
यहां दिल के मरीजों का नहीं है इलाज, मरीजों को जाना पड़ता लखनऊ और दिल्ली

बलरामपुर: जिले में दिल के मरीजों का इलाज नहीं है। यहां रोगियों को इलाज के लिए लखनऊ व दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ती है। आधुनिक सुविधाओं से लैस 100 बेड वाले संयुक्त जिला चिकित्सालय व जिला मेमोरियल चिकित्सालय में अब तक कार्डियोलाजिस्ट की तैनाती नहीं हो सकी है। इससे महानगरों में इलाज कराने वाले मरीजों की जेबें कट रही हैं।

वहीं, कमजोर तबके के लोगों को हृदय रोग विशेषज्ञ न होने का खामियाजा अपनी जान देकर भुगतना पड़ता है। दिल की बीमारी से हर माह करीब 10 से अधिक मौतें हो रहीं हैं। प्रशासनिक अफसरों व जनप्रतिनिधियों ने इस गंभीर मुद्दे पर आवाज उठाना मुनासिब नहीं समझा। कार्डियोलाजिस्ट की तैनाती न होने से यहां दिल की बीमारी लाइलाज बनी हुई है।

नहीं हो पाती जानकारी:

-जिले में कार्डियोलाजिस्ट के न होने से कई बार मरीजों को बीमारी का पता तक नहीं चल पाता है। दिक्कतें बढ़ने पर जब मरीज को बाहर जिलों की जांच में बीमारी की जानकारी होती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। प्राइमरी स्टेज में इलाज न मिलने पर बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है। इससे सीने में उठने वाला दर्द पलक झपकते ही उनकी जिदगी को निगल लेता है।

मरीजों का छलका दर्द:

-मुहल्ला सिविल लाइन निवासी कृपाशंकर मिश्र ने बताया कि उनकी पत्नी सरोजनी मिश्रा दिल की मरीज हैं। उनका इलाज करीब 15 साल से लखनऊ में करा रहे हैं। हर 15 दिन पर जांच व दवा के लिए लखनऊ का चक्कर लगाना पड़ता है। पहलवारा निवासी कृष्ण मुरारी शुक्ल ने बताया कि उनकी माता हृदय रोगी थे। मेडिकल कालेज में दिखाया था। एक बार उनके सीने में तेज दर्द उठा। आनन-फानन में अस्पताल ले जाते समय उन्होंने रास्ते में दम तोड़ दिया। यह मामले तो महज बानगी भर हैं। आए दिन दिल की बीमारी लोगों की जिदगी निगल रही है।

सृजित हैं दो पद:

-हृदय रोगियों को त्वरित उपचार देने के लिए जिले में दो हृदय रोग विशेषज्ञों का पद सृजित है। संयुक्त जिला चिकित्सालय व जिला मेमोरियल अस्पताल में एक-एक पद शामिल हैं, लेकिन इन पदों पर करीब पांच वर्ष से कोई चिकित्सक नहीं है। अस्पताल आने वाले इन मरीजों को गैर जनपद रेफर कर दिया जाता है।

पूर्व में हुई थी तैनाती:

-सीएमओ डा. सुशील कुमार का कहना है कि संयुक्त जिला चिकित्सालय में हृदय रोगियों का इलाज करने के लिए चिकित्सक की तैनाती हुई थी। जो बिना सूचना के तीन साल से गायब चल रहे हैं। इसी वजह से मरीजों को रेफर करना पड़ रहा है।

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