डाक्टर न कर्मचारी, कैसे दूर हो बेजुबानों की बीमारी

बघेलखंड जनकपुर व नेवलगढ़ गांव के पशु अस्पतालों में रहता सन्नाटा वर्षो से नहीं आ रहे डाक्टर-कर्मचारी

By JagranEdited By: Publish:Sun, 29 Aug 2021 10:28 PM (IST) Updated:Sun, 29 Aug 2021 10:28 PM (IST)
डाक्टर न कर्मचारी, कैसे दूर हो बेजुबानों की बीमारी
डाक्टर न कर्मचारी, कैसे दूर हो बेजुबानों की बीमारी

बलरामपुर: विकास खंड गैंसड़ी के बघेलखंड, जनकपुर, नेवलगढ़ गांव में बने पशु अस्पतालों में वर्षो से डाक्टर व कर्मचारी नहीं आ रहे हैं। पशुपालकों को चिकित्सकों व कर्मियों के बारे में जानकारी नहीं है। ऐसे में, वह बीमार पशुओं का इलाज झोलाछाप से कराने को विवश हैं। बिना डिग्री व प्रशिक्षण के इलाज कर रहे लोग महंगा इलाज करने के साथ पशुओं की जान जोखिम में डाल देते हैं।

पशु चिकित्सालय बंद तो कहीं दबंगों का कब्जा:

ग्राम पंचायत बघेलखंड, जनकपुर, नेवलगढ़ में बना पशु चिकित्सालय खुद बीमार हैं। बघेलखंड अस्पताल बंद रहता है। जनकपुर में बना राजकीय पशु अस्पताल पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है। इसमें भूसा रखा जा रहा है। ग्रामीण अपने मवेशी भी बांधते हैं। नेवलगढ़ राजकीय पशु अस्पताल की जमीन पर भी दबंगों ने कब्जा कर लिया है। सभी पशु चिकित्सालय के भवन जर्जर हैं। अस्पताल की जमीन पर लहसुन धनिया की खेती की जा रही है।

वहीं, क्षेत्रवासी तिलकराम, राम बहादुर, श्याम, अखिलेंद्र का कहना है कि डाक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों के न आने से पशुपालकों को झोलाछाप डाक्टरों का सहारा लेना पड़ता है। जिसके चलते कई बार सही इलाज न मिलने के कारण पशुओं की जान तक चली जाती है।

कर्मचारियों की कमी के कारण बंद रहते अस्पताल:

पशु चिकित्साधिकारी डा. आरके सिंह ने बताया कि इस समय वह बाढ़ ड्यूटी में हैं। कर्मचारी कम होने के कारण पशु अस्पताल बंद रहते हैं। जननी सुरक्षा योजना में लगा भ्रष्टाचार का घुन, दौड़ रहे लाभार्थी

बलरामपुर: महिला अस्पताल में प्रसव के बाद शारीरिक रूप से कमजोर हुई 350 महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना का लाभ तो नहीं मिला, लेकिन चक्कर लगाने से उनकी हालत बिगड़ गई। भुगतान पाने के लिए वह आशा, एएनएम तो कभी अस्पताल दौड़ रही है।

प्रसव के बाद महिलाएं खुद व ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चे की देखभाल में आर्थिक तंगी का शिकार न हो, इसलिए सरकार जननी सुरक्षा योजना चला रही है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 व शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 हजार रुपये दिए जाते हैं, लेकिन यहां योजना का लाभ देने में अभिलेख में त्रुटि का पेंच फंसा दिया जाता है। आधार नंबर गलत कर दिया जाता है तो कभी बैंक व नाम में त्रुटियां दिखा दी जाती है।

यही नहीं बैंक एकाउंट फीड करने की जरूरत भी नहीं समझी जाती है। इसका खामियाजा लाभार्थियों को भुगतना पड़ता है। महिला अस्पताल में ऐसी 350 महिलाएं हैं जिन्हें आज तक जेएसवाई की प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पाई।

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. विनीता राय का कहना है कि बैंक खाता व टीकाकरण कोड न होने के कारण 350 महिलाओं की किस्त फंसी है। अभिलेख मांगे गए हैं, लेकिन अब तक मिला नहीं है।

chat bot
आपका साथी