तीन साल से अधूरा अस्पताल भवन, बजट बढ़वाने की लगा रहे जुगत

क्षेत्रवासियों को आयुर्वेदिक इलाज का लाभ नहीं मिला रहा है। तीन वर्ष पूर्व 21 लाख रुपये की लागत से फैक्सफेड संस्था ने निर्माण शुरू किया था लेकिन कुछ माह बाद काम बंद हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 09:58 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 09:58 PM (IST)
तीन साल से अधूरा अस्पताल भवन, बजट बढ़वाने की लगा रहे जुगत
तीन साल से अधूरा अस्पताल भवन, बजट बढ़वाने की लगा रहे जुगत

बलरामपुर: ललिया बाजार में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण अधूरा है। करीब दो साल से निर्माण कार्य बंद है। इससे क्षेत्रवासियों को आयुर्वेदिक इलाज का लाभ नहीं मिला रहा है। तीन वर्ष पूर्व 21 लाख रुपये की लागत से फैक्सफेड संस्था ने निर्माण शुरू किया था, लेकिन कुछ माह बाद काम बंद हो गया। अब ठेकेदार लगात बढ़ाने की बात कह रहे हैं। भवन का प्लास्टर हो गया, लेकिन शौचालय, फर्श, बांउड्रीवाल का काम अधूरा है। भवन में खिड़की-दरवाजा भी नहीं लगा है।

अस्पताल अधूरा होने से ग्रामीण उसमें मवेशी बांधते हैं। अस्पताल बनने से लोगों को आयुर्वेदिक इलाज मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन सपना साकार नहीं हो सका। इससे 20 गांव के 30 हजार लोगों को लाभ मिलता। पंकज कुमार व सरोज का कहना है कि कोरोना काल में एक ओर जहां आयुर्वेद को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ जिम्मेदार आयुर्वेदिक अस्पताल निर्माण पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। मनीष व विनय ने बताया कि ग्रामीणों ने कुछ माह पूर्व इसकी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डा. दिग्विजय नाथ ने बताया बजट मिल चुका है। कोरोना क‌र्फ्यू के कारण कार्य शुरू नहीं हो सका है। टूटकर जमीन पर गिर गए कार्य योजना के बोर्ड

बलरामपुर: ब्लाक क्षेत्र के गांवों में मनरेगा के कार्य योजना को दर्शाने के लिए लगाए गए सूचना बोर्ड टूटकर गिर गए हैं। मनरेगा के तहत वर्ष 2020-21 में स्वयं सहायता समूहों ने कार्य योजना के सूचना बोर्ड का निर्माण किया था, इस पर गांवों में कराए गए विकास कार्य लिखे गए थे। कार्य स्थलों पर लगाया गया था।

एक स्वयं सहायता समूह की सदस्य ने बताया कि 5000 रुपये की लागत से एक बोर्ड बनाए गए थे। बीते वर्ष कुल 175 बोर्ड विकास खंड के विभिन्न गांवों में लगाए गए थे। ये बोर्ड कुछ माह में ही टूट कर जमीन पर गिर गए। बोर्ड टूट जाने से अब गांवों में कराए गए विकास कार्यो का पता नहीं चल पाता है।

छोटे, अभय कुमार, सूरज, छोटका, सहजराम, बड़के बताते हैं कि बोर्ड के गिरने से कार्य पर खर्च का पता नहीं चल पाता है। डीसी मनरेगा महेंद्र देव पांडेय ने बताया की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

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