बाढ़ के पानी में डूबा बेसहारों पशुओं का ठिकाना
निर्माण में मनमानी से उम्मीदों पर फिर पानी लाखों खर्च पर भी भटक रहे बेसहारा जानवर
बलरामपुर: बेसहारा गोवंशों के संरक्षण पर सरकार ने लाखों रुपये पानी की तरह बहा दिये, लेकिन निर्माण में हुई मनमानी अब ग्रामीणों की परेशानी बढ़ा रही है। क्षेत्र में देवरिया मुबारकपुर, शिवपुर महंत, पुरैना कननूगो, गायडीह गोशाला का निर्माण मनरेगा योजना से कराया था। उम्मीद थी कि इससे बेसहारा पशुओं को ठिकाना मिल जाएगा, लेकिन स्थल चयन व निर्माण में मनमानी ने पशुओं को फिर आश्रय विहीन कर दिया।
वहीं, अधिकांश गोआश्रय स्थल बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। इन पर टिन शेड बचा है और न ही गाय व बैल। जिला प्रशासन भूसा, चारा व वेतन के नाम पर इन आश्रय स्थलों पर हर माह लाखों रुपये खर्च भी कर रहा है। ग्रामीण राजेश कुमार, सुरेश व विनय का कहना है कि बेसहारा पशु सड़कों पर जुटे रहते हैं। इससे कभी कभार दुर्घटनाएं हो जाती है। साथ ही राहगीरों को हमेशा परेशानी होती है।
मुख्यमंत्री पोर्टल पर फर्जी संचालन की शिकायत:
देवरिया मुबारकपुर निवासी हरिशंकर मिश्र ने गोशालाओं में जलभराव व गंदगी की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर की है। आरोप है कि सचिव व प्रधान चारा-भूसा का दाम कागजों में खर्च कर फर्जी रूप से गोआश्रय स्थलों का संचालन दिखा रहे हैं। हकीकत में एक भी पशु नहीं है। बीडीओ अशोक कुमार दुबे ने बताया कि शिकायत मिलने पर सचिव के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
दूसरे स्थान पर रखे गए बेसहारा पशु:
शहर से सटे सिसई गांव स्थित गोआश्रय स्थल भी जलभराव की चपेट में आ गया है। स्थल संचालक व ग्राम प्रधान निसार ने बताया कि इस गोशाला में संरक्षित किए गए 30 पशुओं को बाढ़ के पानी से बचाने के लिए दूसरी जगह रखा गया है।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. एके सिंह ने बताया कि जिले में श्रीदत्तगंज की चार गोशालाओं समेत 12 गोशालाएं निष्क्रिय हैं। इनमें अधिकांश गोआश्रय स्थल उन स्थानों पर बना दिए गए हैं जहां पानी भरा हुआ है। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी गई है।