फीकी हुई गन्ने की मिठास, नकदी फसल से टूटी आस

पिछले साल 103760 हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुई थी गन्ने की

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 09:48 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 09:48 PM (IST)
फीकी हुई गन्ने की मिठास, नकदी फसल से टूटी आस
फीकी हुई गन्ने की मिठास, नकदी फसल से टूटी आस

अमित श्रीवास्तव, बलरामपुर:

किसान गन्ना को नकदी फसल मानकर खेती करते हैं। इसीलिए हर साल छोटे-बड़े जोत वाले कृषक रकबा बढ़ाकर अधिक उत्पादन करते हैं, लेकिन इस बार स्थिति बदली है। किसानों का आकर्षण गन्ना की खेती से कम हुआ है। पिछले साल की अपेक्षा इस बार 10711 हेक्टेयर क्षेत्रफल गन्ना का रकबा कम हुआ है।

इसका मुख्य कारण गन्ना मूल्य भुगतान में देरी और तौल पर्ची समय से न मिलना है। विभाग फर्जी सट्टा हटाने से बोआई का रकबा कम होने की बात कह रहा है।

गन्ना उत्पादन अधिक होने के कारण जिले की तीनों तहसीलों में चीनी मिल है। इसमें तुलसीपुर व सदर में बलरामपुर समूह की और उतरौला में बजाज ग्रुप की चीनी मिल है। बोआई का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए चीनी मिलें भी किसानों को प्रोत्साहित करतीं हैं। गन्ना बीज भी देती हैं। इसके बाद भी किसानों ने रकबा कम करना शुरू कर दिया है।

10711 हेक्टेयर क्षेत्रफल हुआ कम : पिछले साल गन्ना का क्षेत्रफल 103760 हेक्टेयर में फसल लगाई गई थी। वर्तमान सत्र में 93049 हेक्टेयर में किसानों ने बोआई की है। जो गत वर्ष की तुलना में 10711 हेक्टेयर कम है। रकबा कम होने से किसानों की संख्या भी कम हो गई है। चीनी मिल क्षेत्रवार बोआई का रकबा देखें तो उसमें बलरामपुर 95986, तुलसीपुर 55053 व बजाज चीनी मिल का 16592 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ना की बोआई की गई है। उसमें 188732 किसानों ने गन्ना की आपूर्ति की थी। 2021-2022 में 167631 कृषक, चीनी मिलों को गन्ना आपूर्ति करेंगे। 21101 किसान पिछले साल से कम हैं।

सत्यापन में मिला फर्जी व डबल नाम से सट्टा:

जिला गन्ना अधिकारी आरएस कुशवाहा का कहना है कि सत्यापन में फर्जी व डबल नाम से सट्टा मिला था। इसे हटा दिया गया है। पांच साल से गन्ना आपूर्ति न करने वाले किसानों का भी नाम हटा दिया गया है। पानी भरने से भी फसल को नुकसान हुआ है। इसलिए रकबा कम है। किसानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

chat bot
आपका साथी