खुले में डंप जिप्सम, खेत नहीं बोरियां हो रहीं उपजाऊ
सदर ब्लाक में खुले में रखी बोरियां बारिश में भीगकर खराब होने का सता रहा डर
बलरामपुर: सरकार भले ही कम लागत में अधिक उत्पादन के लिए किसानों को तमाम तरह की सुविधाएं देने का दावा कर रही है, लेकिन कृषि विभाग की लापरवाही के चलते इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। सदर ब्लाक परिसर में खेत की मिट्टी को भुरभुरी बनाने व ऊसर जमीन सुधार करने के लिए आई जिप्सम की बोरियां खुले में डाल दी गई है।
बारिश में भीगने के कारण यह खराब हो रही है। इससे किसानों के खेत उपजाऊ भले ही न हो, लेकिन बाहर पड़े-पड़े इनकी बोरियां जरूर उपजाऊ बन गई। कई लाख की बोरियां बाहर सड़ रही है। जिम्मेदार इधर झांकना तक मुनासिब नहीं समझ रहे हैं।
क्या है जिप्सम:
जिप्सम खाद में सल्फर की मात्रा अधिक होने ने के कारण मिट्टी को उपजाऊ बनाने में सहायक होती है। पलेवा के पहले खेत में डालने से बीज अंकुरित करने की क्षमता मिट्टी में बढ़ जाती है। आमतौर पर बारिश के पहले इसे बंजर खेत में डाला जाता है और फिर बारिश होने के बाद खेत में जोत दिया जाता है। इससे वहां की मिट्टी उपजाऊ हो जाती है। फसलों में कीड़ा लगने का डर भी नहीं रहता।
जागरूकता न होने से नहीं खरीद रहे किसान:
जिप्सम को खेतों में डालने से बहुत फायदे हैं, लेकिन फिर भी बिक्री नहीं हो रही है। किसान यूरिया लेने में अधिक दिलचस्पी दिखाते हैं। सस्ते में पड़ रही जिप्सम के प्रति उत्साह नहीं है। एक बोरी 250 रुपये की है। 188 रुपये सब्सिडी मिलने के बाद मात्र 63 रुपये कीमत पड़ती है फिर भी लोग नहीं खरीदते हैं। गोदाम प्रभारी नीरज ने बताया कि गेहूं बोआई में मांग बढ़ेगी। गोदाम में रखने पर ब्लास्ट होने का डर रहता है, इसलिए खुले में रखा है। बारिश से भीगने के बावत उनका जवाब था कि शीघ्र ही ढंक दिया जाएगा।
जिला कृषि अधिकारी डा. आरपी राणा का कहना है कि बारिश में भीगने पर गुणवत्ता प्रभावित हुई तो संबंधित की जिम्मेदारी तय की जाएगी।