जर्जर भवन में पढ़ाई को मजबूर छात्र, प्रस्ताव पास फिर भी नहीं की गई मरम्मत
करीब 800 छात्र जान जोखिम में डालकर जर्जर कक्षा में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर
बलरामपुर: आजादी के बाद वर्ष 1948 में स्वतंत्र भारत इंटर कालेज की स्थापना कर शिक्षा की अलख जगाई गई थी। गन्ना समिति परिसर में बना यह विद्यालय शिक्षा का प्रमुख केंद्र बना है, लेकिन प्रबंधतंत्र एवं विभागीय उपेक्षा के चलते इंटर कालेज का भवन जर्जर हो गया है। यहां करीब 800 छात्र जान जोखिम में डालकर कक्षा में बैठकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। हैंडपंप व वाटर कूलर भी खराब है।
छात्र राजकुमार बताते हैं कि क्लासरूम में बैठकर पढ़ने के दौरान छत से प्लास्टर टूट कर गिरता है। किसी भी कमरे में फर्श नहीं बनी है सभी कक्षों की छत टपकती है। सफाई व रखरखाव के अभाव में छत पर पेड़ उग आए हैं। 70 साल पुराने कालेज भवन के मरम्मत व निर्माण को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। प्रबंध तंत्र गन्ना समिति के हाथ में है जिसका प्रबंधक पदेन जिला गन्ना अधिकारी और अध्यक्ष जिलाधिकारी होते हैं।
इसके बावजूद भी यह कालेज अपनी अंतिम सांसे ले रहा है। यही नहीं जूनियर कक्षाओं के लिए बना भवन ढह गया है। बड़ी मुश्किल से कार्यालय में रखे अभिलेखों को नमी और बारिश से बचाया जाता है। एनसीसी कार्यालय कक्ष का भी प्लास्टर उजड़ गया है। छत की सरिया दिखने लगी है। ऐसी स्थिति में छात्र शेपराम, अनुज कुमार, राजेश कुमार व श्रवण का कहना है कि शिक्षा ग्रहण करना है तो जर्जर भवन में बैठकर पढ़ने की मजबूरी है। भवन के गिरने का भी डर जेहन में रहता है, बावजूद इसके कालेज में पढ़ने की विवशता है।
दो बार प्रस्ताव को मिली मंजूरी:
प्रधानाचार्य राधेश्याम पांडेय कहते हैं कि गन्ना समिति की साधारण सभा की बैठक में दो बार मरम्मत के लिए प्रस्ताव पास किया गया, लेकिन अब तक इसकी मरम्मत नहीं कराई जा सकी। अपने पैसे से चूने से रंगाई करवा दी थी।
बजट का अभाव:
कालेज प्रबंधक जिला गन्ना अधिकारी आरएस कुशवाहा का कहना है कि बजट अभाव के कारण विद्यालय भवन की मरम्मत नहीं जा सकी है। प्रस्ताव भेजा गया है।