समोसा न वापस करने पर भड़की शिक्षिका, दुकान में की तोड़फोड़

इंचार्ज प्रधानाध्यापिका पल्लवी कुशवाहा पर दुकान पर तोड़फोड़ करने व सामान फेंकने का आरोप कारोबारी मुकेश ने लगाया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 10:47 PM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 10:47 PM (IST)
समोसा न वापस करने पर भड़की शिक्षिका, दुकान में की तोड़फोड़
समोसा न वापस करने पर भड़की शिक्षिका, दुकान में की तोड़फोड़

बलरामपुर: शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय फौजदारपुरवा की इंचार्ज प्रधानाध्यापिका पल्लवी कुशवाहा पर दुकान पर तोड़फोड़ करने व सामान फेंकने का आरोप कारोबारी मुकेश ने लगाया है। पीड़ित ने थाने पर तहरीर देकर शिक्षिका के खिलाफ कार्रवाई की गुहार लगाई है। उधर, शिक्षिका ने आरोपों को निराधार बताया है।

लालपुर लैबुड्डी निवासी मुकेश का आरोप है कि प्रावि फौजदारपुरवा में शिक्षक संकुल की बैठक आयोजित की गई थी। इसमें इंचार्ज प्रधानाध्यापिका पल्लवी कुशवाहा ने जलपान के लिए चौराहे की दुकान से समोसे व अन्य खाद्य सामग्री मंगवाई थी। बैठक में अधिकांश शिक्षकों के न पहुंचने से खाद्य सामग्री बच गई। उसे वापस करने के लिए शिक्षिका दुकान पर गई, लेकिन दुकानदार ने खाद्य सामग्री वापस लेने से मना कर दिया। इस पर शिक्षिका भड़क उठीं। दुकान पर तोड़फोड़ करते हुए सामान उठाकर फेंक दिया। कुर्सियां तोड़कर मुकदमे में फंसाने की धमकी देती हुई चलीं गई। शिक्षिका का कहना है कि आरोप निराधार हैं।

खंड शिक्षा अधिकारी अरुण कुमार वर्मा ने बताया कि जानकारी नहीं है। जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

छेड़छाड़ मामले में आरोपित को पांच साल कारावास

बलरामपुर: विशेष सत्र न्यायाधीश महेंद्र नाथ ने नाबालिग के साथ छेड़खानी करने वाले पाक्सो आरोपित को पांच साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही आठ हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है।

शासकीय अधिवक्ता पवन शुक्ल ने बताया कि थाना हर्रैया निवासी रामपूरन वर्मा ने एक नाबालिग लड़की का लज्जा भंग करने का प्रयास किया। घटना की प्राथमिकी 22 जनवरी 2019 को थाना हरैया में दर्ज हुई थी। अभियोजन की ओर से घटना के संबंध में छह गवाहों का बयान अंकित कराया गया। बचाव पक्ष से कहा गया कि घटना झूठी है। रंजिश के कारण प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

घटना का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है। गवाहों के बयान में विरोधाभास है। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद आरोपित को दोष सिद्ध ठहराया। आदेश दिया कि जुर्माने की आधी धनराशि पीड़िता को दी जाए।

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