बैंकों ने बंद कर रखे द्वार, उद्यम की नइया कैसे हो पार
हालत यह है कि प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की ऋण योजनाओं की फाइलें भी बैंकों के पटलों पर धूल खा रही है।
बलरामपुर: केंद्र व प्रदेश सरकार भले ही उद्योग स्थापित कर खुद का रोजगार करने को बढ़ावा दे रही है, लेकिन बैंक अधिकारियों की मनमानी के चलते उद्यम की नइया फंसी पड़ी है। हालत यह है कि प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की ऋण योजनाओं की फाइलें भी बैंकों के पटलों पर धूल खा रही है।
जिला उद्योग व उद्यम प्रोत्साहन केंद्र से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की भेजी गई 34 ऋण पत्रावलियों में केवल 11, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना की भेजी गई 42 ऋण पत्रावलियों में तीन व एक जिला एक उत्पाद में 22 आवेदकों में से दो पर ही ऋण स्वीकृत हो पाया है। इस तरह विभिन्न योजनाओं की 98 ऋण पत्रावलियां भेजी गई है, लेकिन केवल 15 ही स्वीकृति हो पाई है।
शेष आवेदक बैंकों का चक्कर काट रहे हैं। बैंक अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। हालांकि बैंकों का दावा है कि फाइलें देर से मिली हैं, इसलिए समय लग रहा है। फैक्ट फाइल
एक जिला एक उत्पाद
ऋण देने का लक्ष्य-40
भेजी ऋण पत्रावली-22
स्वीकृत हुई पत्रावली-02 मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना
ऋण देने का लक्ष्य-50
भेजी ऋण पत्रावली-42
स्वीकृत हुई पत्रावली-03
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
योजना में ऋण देने का लक्ष्य-52
भेजी ऋण पत्रावली-34
स्वीकृत हुई पत्रावली-11 आवेदकों का टूट रहा भरोसा:
बैंकों पर ऋण की फाइलें काफी समय से लंबित रहने से आवेदक का भरोसा टूट जाता है। वह बिचौलियों के सहारे तो ऋण पा लेता है, लेकिन उद्यम नहीं शुरू हो पाता है। उद्यमी का सपना टूट जाता है।
-राजेश कुमार पांडेय, उपायुक्त उद्योग देर से आई फाइलों का भी होगा निस्तारण:
ऋण पत्रावलियां देर से आई हैं। इसलिए विलंब हुआ है। फिर भी निस्तारण कराने को लेकर वह गंभीर है। सभी बैंक प्रबंधकों को सख्त हिदायत दी है कि ऋण पत्रावलियों का यथाशीघ्र निस्तारण करें। हर हाल में दिसंबर से पहले ऋण लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। लोग बैंक अधिकारी से परेशानी बताएं, शिकायत हो तो मुझे भी अवगत कराएं।
-डा. आरएन विश्नोई, लीड बैंक प्रबंधक