कागजों में स्वच्छता का खाका, कंपोजिट ग्रांट पर भी डाका

यूं तो जिले का बेसिक शिक्षा महकमा स्कूलों को संवारने के लिए काफी

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 09:39 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 09:39 PM (IST)
कागजों में स्वच्छता का खाका, कंपोजिट ग्रांट पर भी डाका
कागजों में स्वच्छता का खाका, कंपोजिट ग्रांट पर भी डाका

श्लोक मिश्र, बलरामपुर :

यूं तो जिले का बेसिक शिक्षा महकमा स्कूलों को संवारने के लिए काफी तानाबाना बुनता है। कागजों में तैयारियां भी की जाती है, लेकिन इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जाता। कोविड के कारण लंबे अरसे बाद स्कूल खुले, तो यूनीसेफ ने सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संबंधी महत्वपूर्ण एवं शिक्षाप्रद संवाद सामग्री का खाका तैयार किया। सारी कार्य योजना सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गई। कंपोजिट स्कूल ग्रांट से भेजे गए आठ करोड़ रुपये का 10 प्रतिशत स्वच्छता सामग्री पर खर्च होना था। अधिकांश स्कूलों में स्वच्छता किट उपलब्ध नहीं है। वर्षों से रंगाई-पोताई न होना कंपोजिट ग्रांट डाकर जाने की कहानी बयां कर रहा है।

जिले के 1,247 प्राथमिक, 33 उच्च प्राथमिक व 317 कंपोजिट स्कूलों में 2,91,115 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। नौनिहालों ने कोरोना के भयावह रूप को भी देखा व अनुभव किया है। सितंबर में नौनिहालों को विद्यालय के वातावरण से सहज होने पर विशेष जोर देने की योजना बनाई गई। शिक्षकों को बच्चों के साथ विभिन्न खेल गतिविधियां कराने का निर्देश दिया गया था।

महामारी से ऐसे करना था सचेत : कोविड महामारी से बचाव के लिए सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संबंधी महत्वपूर्ण एवं शिक्षाप्रद संवाद सामग्री यूनीसेफ ने तैयार की है। इसमें पोस्टर, जाब एड्स, वाल पेंटिग व लघु फिल्में शामिल हैं। निर्धारित यूआरएल के लिक के माध्यम से उक्त सामग्री को डाउनलोड कर पोस्टर एवं जाब एड का प्रिटआउट निकाला जाना है। इसमें विद्यालय के मुख्य द्वार, रसोईघर, मल्टीपल हैंडवाशिग यूनिट, शौचालय आदि स्थानों पर चस्पा करना है। इसके साथ ही लघु फिल्मों को प्रत्येक विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों, विद्यालय के अन्य स्टाफ, अभिभावकों एवं आगंतुकों के साथ साझा करने की योजना थी। बावजूद इसके अब तक प्रगति सिफर है।

यह विद्यालय है बानगी: शिक्षा क्षेत्र गैंड़ासबुजुर्ग के प्राथमिक विद्यालय मझारी तप्पाबांक की काया जर्जर है। खिड़की दरवाजों की न तो मरम्मत हुई और न ही वर्षों से रंगाई-पोताई कराई गई। सदर क्षेत्र का प्राथमिक विद्यालय सेमरहना भी बदहाल है। मल्टीपल हैंडवाश की टोटियां गायब हैं। हैंडपंप खराब है। कई साल से रंगाई-पोताई नहीं हुई है। यह तो महज बानगी भर हैं। वर्ष 2020-21 में आठ करोड़ 62 हजार 500 रुपये कंपोजिट स्कूल ग्रांट से खर्च हो गए, लेकिन स्कूलों की काया नहीं बदली।

बीईओ को दिए निर्देश : बीएसए डा. रामचंद्र का कहना है कि कोविड गाइडलाइन का अनुपालन अनिवार्य रूप से करने की हिदायत दी गई है। साथ ही खंड शिक्षा अधिकारियों को जल एवं स्वच्छता विषय पर जागरूकता अभियान के लिए निर्देशित किया गया है।

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