आंगनबाड़ी भवनों का नहीं हस्तांतरण, कैसे मिले पोषण

नीति आयोग के आकांक्षी जिलों में शुमार होने के बाद भी कुपोषण का कलंक मिटने क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 09:15 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 09:15 PM (IST)
आंगनबाड़ी भवनों का नहीं हस्तांतरण, कैसे मिले पोषण
आंगनबाड़ी भवनों का नहीं हस्तांतरण, कैसे मिले पोषण

बलरामपुर: नीति आयोग के आकांक्षी जिलों में शुमार होने के बाद भी कुपोषण का कलंक मिटने का नाम नहीं ले रहा है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के अफसर सुपोषण माह व वजन सप्ताह मनाकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। नवनिर्मित आंगनबाड़ी केंद्र हस्तांतरित करने का ध्यान नहीं है। वर्ष 2016 से जिले में 246 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण लटका हुआ था। 200 केंद्रों का भवन तैयार है, लेकिन अब तक विभाग ने उन्हें हस्तांतरित नहीं कराया है। नतीजा भवन परिषदीय विद्यालयों व किरायों के भवनों में संचालित है।

आठ केंद्रों की छत तक का कार्य पूर्ण हो चुका: वर्ष 2016-17 में जिले में 200 आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हुए थे। प्रत्येक केंद्र के लिए आठ लाख छह हजार रुपये की धनराशि मिली थी। इसके निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण व पंचायती राज विभाग को सौंपा गया था। यह केंद्र बनने के बाद हस्तांतरण की बाट जोह रहे हैं। वर्ष 2017-18 में 10 नए केंद्र स्वीकृत हुए। इनमें से आठ केंद्रों की छत तक का कार्य पूर्ण हो चुका है। जबकि दो की अभी दीवार ही खड़ी हो सकी है। वर्ष 2018-19 में स्वीकृत 36 आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए मनरेगा से पांच लाख, पंचायती राज विभाग को एक लाख छह हजार व बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को दो लाख रुपये मिले हैं। अभी इनका निर्माण अधर में है। जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेंद्र कुमार का कहना है कि नवनिर्मित भवनों के हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है। अधूरे भवनों को शीघ्र पूरा कराने के निर्देश दिए गए हैं। कुछ भवनों का हस्तांतरण हो चुका है।

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