तेंदुए से कैसे बचाएं जान, तरीके सीख रहे किसान
108 गांवों में 34 गांव अति संवेदनशील वन अधिकारी प्रधानों का सहयोग लेकर किसानों को कर रहे जागरूक
बलरामपुर: जंगलवर्ती गांवों में रहने वाले ग्रामीणों व वन्य जीवों में संघर्ष बढ़ता जा रहा है। आए दिन तेंदुआ के हमले की घटनाएं हो रही हैं। सोहेलवा जंगल के किनारे बसे 108 गांवों में से 34 गांवों को वन विभाग ने अति संवेदनशील चिह्नित किया है। इन गांवों के प्रधानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। यही नहीं, जंगल किनारे होने वाली खेती में सावधानी बरतने के लिए किसानों को भी जागरूक किया जा रहा है।
इन पहलुओं पर दे रहे प्रशिक्षण:
वन विभाग के अफसर अति संवेदनशील गांवों के प्रधानों को तेंदुए व बाघ का शिकार होने से बचने के लिए विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसमें जंगली जानवरों के गांव के तरफ आने की सूचना देने, जंगल में पालतू जानवरों को न ले जाने, शाम होने पर अकेले चलने के बजाय चार-पांच के समूह में चलने व घरों के सामने उजाला रखने समेत कई पहलुओं की सीख दी जा रही है।
सोहेलवा में बढ़ी तेंदुओं की संख्या:
452 वर्ग किलोमीटर में फैले सोहेलवा जंगल में मौजूद वन्य जीवों की संख्या का पता करने के लिए 180 स्थानों पर कैमरे लगाए गए थे। कैमरा ट्रैप सेल के माध्यम से जंगली जानवरों की गतिविधियों व उनके पगचिह्नों को कैद किया गया। एक लाख 60 हजार तस्वीरें ली गईं थीं। इसमें तेंदुए की आमद बढ़ने के साथ ही फिशिग कैट, लेपर्ड कैट, कामन कैट व जंगल कैट की बहुलता सामने आई है। इसके अलावा बिज्जू व लकड़बग्घा की तस्वीरें कैद हुई हैं।
किसानों को किया जा रहा जागरूक:
डीएफओ प्रखर गुप्त का कहना है कि प्रधानों का सहयोग लेकर किसानों को बराबर जागरूक किया जा रहा है। खेत खाली हो जाने से जंगल से गांव साफ दिखाई पड़ने लगता है। खेतों में तेंदुआ छुपकर बैठ जाता है। जो घात लगाकर शिकार पर टूट पड़ता है। किसानों को बड़ी फसलों की जगह छोटी फसल लगाने के प्रति जागरूक किया जा रहा है।