यहां समय पर नहीं आते डाक्टर व एलटी, मरीज परेशान

टीबी क्लीनिक में बाहरी जांच व दवाओं से हो रहा इलाज

By JagranEdited By: Publish:Mon, 04 Oct 2021 10:18 PM (IST) Updated:Mon, 04 Oct 2021 10:18 PM (IST)
यहां समय पर नहीं आते डाक्टर व एलटी, मरीज परेशान
यहां समय पर नहीं आते डाक्टर व एलटी, मरीज परेशान

अमित श्रीवास्तव, बलरामपुर:

वर्ष 2022 तक देश को टीबी मुक्त करने की सरकार की मुहिम यहां खटाई में नजर आ रही है। जिला क्षय रोग अस्पताल में तैनात चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों की संवेदनहीनता मरीजों पर भारी पड़ रही है। आलम यह है कि सुबह आठ बजे खुलने वाले अस्पताल में चिकित्सक, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट 10 बजे तक नहीं पहुंचते हैं। 20 किलोमीटर दूर से चलकर आने वाले मरीजों को घंटों बैठकर पर्चा बनवाने का भी इंतजार करना पड़ता है। एक्सरे-रूम व अन्य जांच की सुविधा होने के बाद भी कमीशन की लालच में मरीजों को निजी पैथोलाजी पर भेजा जाता है। मजे की बात यह है कि अस्पताल का ताला यहां के प्रशिक्षु फार्मासिस्ट खोलते हैं। प्रस्तुत है रिपोर्ट..

दृश्य एक: समय सुबह 9.40 बजे। अस्पताल के बरामदे में प्रशिक्षु फार्मासिस्ट अगस्त कुमार घूमते मिला। बताया कि अस्पताल का ताला उसने खोला है। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. संजीवन लाल की कुर्सी खाली मिली। चीफ फार्मासिस्ट एससी भारती भी अस्पताल से नदारद थे।

दृश्य दो: समय 9.45 बजे। सीबीनाट प्रयोगशाला कक्ष तो खुला था, लेकिन लैब असिस्टेंट शशिकांत मिश्र व एलटी हनुमान अस्पताल नहीं पहुंचे थे। बलगम जांच कक्ष, डाट्स रूम व रजिस्ट्रेशन रूम में भी कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था।

दृश्य तीन: समय 9.50 बजे। पुरैनिया तालाब मुहल्ला निवासिनी शफीकुन्निशा रजिस्ट्रेशन रूम के सामने बैठी थीं। बताया कि सुबह 8.20 पर ही अस्पताल आ गईं हैं। मजदूर की टीबी जांच करानी थी, लेकिन कोई कर्मचारी पर्चा काटने वाला नहीं है। बरामदे में बेंच पर बैठे सुरेश कुमार ने बताया कि 15 किलोमीटर दूर श्रीदत्तगंज से भतीजे की जांच कराने आया है। एक घंटे से इंतजार कर रहा है, लेकिन डाक्टर अभी नहीं आए हैं।

दृश्य चार: समय 9.55 बजे। अस्पताल के बाहर गेट पर बैठे मिले शेर बहादुर ने बताया कि 20 किलोमीटर दूर कोड़री गांव से आया है। बताया कि अस्पताल में एक्सरे व अन्य जांच की सुविधा नहीं दी जा रही है। बताया कि बाहर से जांच व दवाएं लिखी जाती हैं। पिता की बाहरी जांच में 2500 व दवाओं पर चार हजार रुपये खर्च हो चुके हैं।

खत्म हो गई एक्स-रे प्लेट:

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. संजीवन लाल का कहना है कि करीब डेढ़ माह से एक्स-रे प्लेट खत्म है। मैं लखनऊ गया था। सुबह 9.50 पर आ गया हूं। सभी कर्मियों को समय से आने का निर्देश दिया गया है।

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