आंगनबाड़ी केंद्र बदहाल, कैसे सेहतमंद हों नौनिहाल

चित्र परिचय : संवादसूत्र, गैंड़ासबुजुर्ग (बलरामपुर) : स्वस्थ वातावरण में कुपोषण दूर करने के लिए भले ही आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण करवाया गया था लेकिन भवनों की दुर्दशा देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभागीय अधिकारी की योजनाओं के संचालन के लिए कितने गंभीर है। अफसर धरातल पर उतरने के बजाय कागजी बयानबाजी तक सिमट कर रह गए हैं । विकास खंड के अंतर्गत कुल 164 आंगनवाड़ी केंद्र संचालित है जिनमें से मात्र 3

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 09:48 PM (IST) Updated:Sun, 17 Feb 2019 09:48 PM (IST)
आंगनबाड़ी केंद्र बदहाल, कैसे सेहतमंद हों नौनिहाल
आंगनबाड़ी केंद्र बदहाल, कैसे सेहतमंद हों नौनिहाल

बलरामपुर : भले ही नीति आयोग जिले के माथे पर लगे कुपोषण के कलंक को दूर करने के लिए गंभीर हो, लेकिन जिम्मेदार अफसरों की कार्यशैली से उसकी मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही है। विकास खंड के अंतर्गत कुल 164 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। जिनमें से मात्र 38 केंद्रों को ही निजी भवन नसीब हो सका है। बदहाल आंगनबाड़ी केंद्रों का कोई पुरसाहाल नहीं है। अफसर धरातल पर उतरने के बजाय कागजों में कुपोषण को दूर करने का तानाबना बुन रहे हैं। क्षेत्र के टेढ़वा तप्पाबांक गांव में बना आंगनबाड़ी केंद्र रखरखाव के अभाव में बदहाल हो चुका है। भवन जर्जर है। खिड़की व दरवाजे गायब हो चुके हैं। फर्श गड्ढे में तब्दील है। शौचालय एवं पेयजल की व्यवस्था नहीं है। भवन खंडहर में तब्दील हो जाने के कारण केंद्र बगल के प्राथमिक विद्यालय में संचालित हो रहा है। यही स्थिति क्षेत्र के ज्यादातर केंद्रों की है। सीडीपीओ संजीव कुमार का कहना है कि जर्जर आंगनबाड़ी केंद्रों की सूची मुख्य विकास अधिकारी को दी गई है। प्राथमिक विद्यालयों की तरह आंगनबाड़ी केंद्रों का भी कायाकल्प योजना के अंतर्गत सुंदरीकरण होना है।

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