लकड़ी के पुल से आवागमन को मजबूर 20 गांव की आबादी
उतरौला तहसील मुख्यालय पहुंचने को तय करनी पड़ती 30 किलोमीटर की दूरी जोखिम में जान
बलरामपुर : कुआंनो नदी के गुलरेहवा घाट पर पक्के पुल का निर्माण न होने का ग्रामीणों को मलाल है। क्षेत्र के 20 गांवों के लोगों को दुर्गम रास्तों से होकर तहसील व जिला मुख्यालय पहुंचना पड़ रहा है। ग्रामीण जान जोखिम में डालकर लकड़ी के पुल से आवागमन करने को विवश हैं। पांच माह नदी में पानी अधिक होने के कारण ग्रामीणों का आवागमन ठप हो जाता है। उतरौला तहसील मुख्यालय पहुंचने के लिए 30 किलोमीटर की अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। पक्का पुल न बनने से क्षेत्रवासियों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है।
समय बचाने के लिए जिदगी दांव पर :
- हद्दीस, श्याम नारायण यादव, गंगाराम, राजेश कुमार वर्मा, मनोज कुमार, रामनिरंजन, योगेंद्र, प्रेमचंद सोनी का कहना है कि पुल न बनने से इटई अब्दुला, घासीपोखरा, जखौली, सरायखास, दतलूपुर, अचलपुर चौधरी, मनुवागढ़, भिरवा, लौकियां ताहिर, कुरथुआ खानपुर, मद्दोघाट, गोकुलबुजुर्ग सहित 20 गांव के करीब 30 हजार लोग जिदगी दांव पर लगाकर लकड़ी के पुल से आवागमन करते हैं। इन गांवों के लोगों को ब्लॉक व जिला मुख्यालय तक पहुंचने में परेशानियों का सामना करना पड़ता। राजेश जायसवाल, रतीराम, मल्हू, सईद अहमद, रक्षाराम, शकील अहमद ने बताया कि पुल न बनने से क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है। अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों ने भी इस गंभीर समस्या के निस्तारण की पहल नहीं की। इससे लोगों की परेशानी नहीं कम हो पा रही है।
मांगी गई रिपोर्ट :
- उपजिलाधिकारी अरुण कुमार गौड़ ने बताया कि क्षेत्र में जितने भी ऐसे पुल हैं, उनकी रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद लोक निर्माण विभाग से प्रस्ताव तैयार कराया जाएगा।