बोरिग व सोख्ता विधि अपनाएं, वर्षा जल बचाएं
गिरते भूजल स्तर व पानी का संकट दूर करने के लिए रेन वाटर हार्वे
जागरण संवाददाता, बलिया : गिरते भूजल स्तर व पानी का संकट दूर करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिग सबसे बेहतर विकल्प है। इस दिशा में हर तरफ सार्थक पहल होनी चाहिए। रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम दो तरह का होता है। पहला बोरिग व दूसरा सोख्ता विधि। बड़े भवनों में इस सिस्टम के जरिए जल संचयन की पहल कारगर साबित हो सकती है। जनपद के जल संरक्षण के नोडल अधिकारी श्याम सुंदर यादव ने बताया कि 17 ब्लाकों के परिसर में रेन हार्वेस्टिग सिस्टम बनाए जा रहे हैं। शासन के निर्देश पर काम शुरू हो गया है। कुछ ब्लाकों में पचास फीसद से अधिक काम हो गया है। सोख्ता विधि :
छत की साइज : 100 स्क्वायर फीट, गड्ढे की गहराई-तीन मीटर, चौड़ाई-चार मीटर, लंबाई-छह मीटर, छत की पाइप से पानी गड्ढे में लाते हैं। छह क्यूबिक मीटर पानी स्टोर की क्षमता होती है।
इस तरह होगा तैयार :
सबसे नीचे का हिस्सा कच्ची मिट्टी का रहेगा। ऊपर लगभग 50 सेंटीमीटर तक पकी हुई ईंट लगेगी। 20 सेमी ऊंचाई तक रेत भरते हैं। इसके चारों तरफ ईंट से बाउंड्री होगी। ढंकने के लिए स्लैब। 60 से 80 हजार रुपये आएगी लागत। बोरिग विधि :
छत के आकार के अनुसार 30 फीट तक गहरी बोरिग करानी होगी। फिर बोल्डर, बालू और अन्य सामग्री डालकर उसे भरा जाएगा। भवन की छत पर जमा होने वाले वर्षा जल को पाइप की मदद से इसमें पहुंचाया जाएगा। यह पानी बोरिग से होते हुए जमीन के अंदर चला जाएगा। इस पर 15 हजार रुपये तक का खर्च आता है। जिले में रेन वाटर हार्वेस्टिग के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जिले में खासकर रसड़ा तहसील में इस तरह का सिस्टम उपयोगी साबित हो रहा है।
-श्यामसुंदर यादव, नोडल अधिकारी, जल संरक्षण, सहायक अभियंता, लघु सिचाई।