बाग में उगाई हल्दी, बेचा पाउडर, कमाया तीन गुना मुनाफा

जागरण संवाददाता बलिया खेती करने का अगर थोड़ा तरीका बदल दें तो यकीनन यह फायदे का सौदा

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 06:50 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 06:50 PM (IST)
बाग में उगाई हल्दी, बेचा पाउडर, कमाया तीन गुना मुनाफा
बाग में उगाई हल्दी, बेचा पाउडर, कमाया तीन गुना मुनाफा

जागरण संवाददाता, बलिया : खेती करने का अगर थोड़ा तरीका बदल दें तो यकीनन यह फायदे का सौदा सिद्ध होगी। सोहांव के चौरा में चार व पिपरा गांव के एक किसान कुछ ऐसा ही काम कर रहे हैं। नाबार्ड एवं कृषि वैज्ञानिकों की मदद से यहां तीन साल से मुनाफे की खेती की जा रही है। किसान श्रवण कुमार सिंह, धर्मेंद्र सिंह, दिलीप सिंह, सुनील सिंह व श्रीराम सिंह हल्दी की अच्छी खेती कर रहे हैं। चौरा गांव निवासी प्रगतिशील किसान श्रवण कुमार ने बताया कि उन्हें तीन साल पहले उद्यान विभाग से पांच क्विटंल कच्ची हल्दी मिली थी। इसकी खेती के लिये उन्होंने गांव में आम व सागौन के बाग का चयन किया। जून में पेड़ के नीचे करीब आधा बिस्वा खाली पड़ी जमीन पर उन्होंने पांच क्विंटल कच्ची हल्दी की बोवाई की गई। फरवरी में करीब 20 क्विंटल उत्पादन हुआ। इसे उबालकर सुखाया गया, फिर मशीन से इसकी पिसाई की गई। इस पूरी प्रक्रिया से गुजरने के बाद करीब पांच क्विटल हल्दी का पाउडर मिला। उसे बाजार में 80 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा गया तो एक सीजन में औसतन 30 हजार रुपये का मुनाफा हुआ। इस हल्दी की डिमांड अधिक है। इलाके के एक दर्जन कारोबारी इसे थोक दर पर लेने के लिये तैयार हैं। वे खुद आकर पाउडर लेकर जाते हैं।

10 हजार रुपये आई लागत, इस्तेमाल हुई जैविक खाद

कच्ची हल्दी प्रति क्विंटल 1500 रुपये की दर से मिली। पांच क्विंटल बोवाई में करीब 75 सौ रुपये लागत आई। गांव के 12 से 15 लोगों को इस कार्य में जोड़ा गया। वे निराई-गोड़ाई किये, इसके चलते उन्हें 2500 से तीन हजार रुपये दिये गये। इस तरह करीब 10 हजार रुपये की लागत आई, जबकि 40 हजार रुपये की हल्दी का उत्पादन हुआ। श्रवण कुमार की तरह पांच अन्य किसान भी अपनी आय बढ़ा रहे हैं। बोवाई के वक्त उन्होंने गोबर की खाद का प्रयोग किया था। कोई केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया। जैविक तरीके से खेती किये जाने से इनके हल्दी की डिमांड अधिक है।

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