प्रतिष्ठा वाली सीटों पर भी दिग्गजों को मिली मात

जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव के लिए सत्ता पक्ष संग नेता प्रतिपक्ष व विधायक

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 06:53 PM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 06:53 PM (IST)
प्रतिष्ठा वाली सीटों पर भी दिग्गजों को मिली मात
प्रतिष्ठा वाली सीटों पर भी दिग्गजों को मिली मात

जागरण संवाददाता, बलिया : जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव के लिए सत्ता पक्ष संग नेता प्रतिपक्ष व विधायकों ने भी प्रतिष्ठा लगा दी थी। इसके बाद भी परिणाम सार्थक नहीं आए। नेता प्रतिपक्ष राम गोविद चौधरी के बेटे रंजीत चौधरी की जीत की उम्मीद सभी को थी लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष देवेंद्र यादव को जिला पंचायत अध्यक्ष पद का दावेदार माना जा रहा था। उनकी हार से हर कोई अचंभित है। फेफना विधान सभा क्षेत्र में प्रत्याशियों की जीत के लिए मंत्री उपेंद्र तिवारी ने सघन दौरा भी किया था। वहीं मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला कोरोना पाजिटिव होने के बाद भी वर्चुअल मीटिग कर समय-समय पर कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाते रहे। विधायक सुरेंद्र सिंह भी भाजपा प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए गांव-गांव का दौरा किए थे। सपा के पूर्व विधायक जय प्रकाश अंचल के बेटे को भी हार का सामना करना पड़ा है। सिकंदरपुर: विधानसभा क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य के पद पर सुभासपा का दबदबा रहा। जिला पंचायत सदस्य की कुल सात सीटों में तीन पर सुभासपा, दो भाजपा, एक बसपा व सपा ने बाजी मार ली। गड़वार ब्लाक के जिला पंचायत सदस्य के तीन वार्डों क्रमश: 45, 46, 47 में भाजपा समर्थित प्रत्याशियों की करारी हार हुई है। इसमें दो सीटों पर बसपा समर्थित प्रत्याशी जीते हैं। एक सीट निर्दल के खाते में गई है। वार्ड नंबर 45 में पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी के पुत्र आनंद चौधरी ने अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के नथुनी सिंह को चार हजार मतों से परास्त किया है। वार्ड नंबर 47 में बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष व वर्तमान में आजमगढ़ मंडल के कोआर्डिनेटर संतोष राम की पत्नी सीता भारती लगभग छह हजार मतों से चुनाव जीतीं। सीट छोड़ी और जीत भी किया सुनिश्चित

जिला पंचायत सदस्य पद पर निवर्तमान सदस्य अमित यादव ने पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी के बेटे आनंद चौधरी के लिए अपनी सीट 45 को छोड़ दिया। उनके चुनाव में कड़ी मेहनत कर सीट को उनकी झोली में डाला है। अचानक आनंद चौधरी के आ जाने के बाद उन्होंने सीट छोड़ दिया। साथ ही दिन रात लगकर सीट पर विजय भी दिलाई।

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