भारतीय धर्मग्रंथों में श्रीमद्भगवदगीता का स्थान सर्वोपरि

जागरण संवाददाता बलिया जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के लिविग लिजेंड्स आफ बलिया फोरम के तत्

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 07:15 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 07:15 PM (IST)
भारतीय धर्मग्रंथों में श्रीमद्भगवदगीता का स्थान सर्वोपरि
भारतीय धर्मग्रंथों में श्रीमद्भगवदगीता का स्थान सर्वोपरि

जागरण संवाददाता, बलिया : जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के लिविग लिजेंड्स आफ बलिया फोरम के तत्वावधान में सोमवार को 'हम साथ-साथ चलें' शीर्षक से आनलाइन व्याख्यानमाला का शुभारंभ हुआ। इसमें इसरो के पूर्व वैज्ञानिक संत रंजीत बहादुर सिंह ने 'योग एवं श्रीमद्भगवदगीता' विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि लिखित धर्मग्रंथों में श्रीमद्भगवदगीता का स्थान सर्वोपरि है। चारों वेदों का सूक्ष्म ज्ञान गीता में है। यह समस्त भारतीय धर्मग्रंथों का सार है। गीता में कर्मयोग, ज्ञानयोग एवं भक्तियोग का विस्तार से वर्णन है जो मनुष्य की सर्वतोमुखी प्रगति का पथ प्रशस्त करता है।

प्रो. प्रतिभा पांडेय ने सम्यक सामाजिक विकास में विश्वविद्यालयों की भूमिका पर व्याख्यान देते हुए कहा कि आजादी के इतने वर्षाें के बाद भी सतत विकास के पैमानों पर भारत और विशेषकर हिदी भाषी प्रदेश बहुत पीछे हैं। इस संदर्भ में विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो. कल्पलता पांडेय ने कहा कि योग विश्व को भारत की विशेष देन है। योग के जरिये शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त की जा सकती है। अतिथियों का स्वागत डा. प्रमोद शंकर पांडेय, संचालन डा. यादवेंद्र प्रताप सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डा. जैनेंद्र कुमार पांडेय ने किया।

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