बलिया के त्रिलोकी नाथ की बदौलत राममंदिर निर्माण की राह आसान

जागरण संवाददाता बलिया अयोध्या में राममंदिर प्रकरण में बलिया का भी योगदान है। इसी धरती के

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 06:53 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 06:53 PM (IST)
बलिया के त्रिलोकी नाथ की बदौलत राममंदिर निर्माण की राह आसान
बलिया के त्रिलोकी नाथ की बदौलत राममंदिर निर्माण की राह आसान

जागरण संवाददाता, बलिया : अयोध्या में राममंदिर प्रकरण में बलिया का भी योगदान है। इसी धरती के दया छपरा गांव के निवासी त्रिलोकी नाथ पांडेय रामजन्म भूमि के मुकदमे में पक्षकार थे, उनका शुक्रवार की रात निधन हो गया। वह बीमार चल रहे थे। पिछले दिनों उन्हें लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की सूचना पर गांव सहित बलिया के लोग दुखी हैं। वह छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। संघ ही वह विहिप में भेजे गए और मंदिर आंदोलन के सहयोगी के रुप में उन्होंने अमिट छाप छोड़ी।

----------------- 1964 में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए स्व. पांडेय 1964 में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संपर्क में आए। उनका जुड़ाव इतना प्रगाढ़ था कि हाईस्कूल के बाद पढ़ाई छोड़कर स्वयं को संघ के लिए समर्पित कर दिया। 1975 में वे जब बीएड कर रहे थे, तभी आपातकाल लग गया। आपातकाल के विरोध में उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। उस समय वे बलिया में प्रचारक थे और संघ के अन्य प्रचारकों की तरह आपातकाल के विरोध में उन्होंने भी संघर्ष किया। 1984 में विहिप ने जब मंदिर आंदोलन शुरू किया, तब वे संघ की संस्कृति रक्षा योजना के प्रांतीय प्रभारी के तौर पर आजमगढ़ को केंद्र बना कर सक्रिय थे। कालांतर में संस्कृति रक्षा योजना का विहिप में विलय हुआ तो पांडेय भी विहिप की शोभा बढ़ाने लगे। मई 1992 में उन्हें रामजन्मभूमि मामले की अदालत में पैरवी के लिए आजमगढ़ से अयोध्या बुला लिया गया। उन्होंने इस भूमिका का बखूबी निर्वहन किया।

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बने राम लला के सखा

रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए रामलला के सखा की हैसियत से सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति देवकीनंदन अग्रवाल ने 1989 में ही वाद दाखिल कर दिया था। 1996 में उनकी मृत्यु के बाद यह जिम्मेदारी बीएचयू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर ठाकुर प्रसाद वर्मा ने संभाली। 2008 में उनके बाद रामलला के सखा का दायित्व त्रिलोकीनाथ पांडेय ने संभाला।

--------------------------------- राममंदिर के शिलान्यास के वक्त की थी बातचीत सुप्रीम के फैसले के बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब राममंदिर का शिलान्यास करने अयोध्या पहुंचे थे, तब भी स्व. पांडेय अयोध्या में ही थे। उस वक्त उन्होंने बताया था कि मैं रामजन्म भूमि मामले के मुकदमे में अक्टूबर 1994 से हाईकोर्ट की बेंच में पैरवी करता रहा। उसके बाद रामलला का सखा घोषित होने पर पक्षकार के रूप में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक पैरवी करता रहा। फैजाबाद के दीवानी के वकील मदन मोहन पांडेय, रविशंकर प्रसाद, वीरेश्वर द्विवेदी, अरुण जेटली जैसे वकीलों से संपर्क करके मुकदमों की तैयारी करता रहा। हाईकोर्ट में हम अपना वकील पाराशर जी को करना चाहते थे, लेकिन वह अस्वस्थता के कारण नहीं आए। उसके बाद जब हमने उच्चतम न्यायालय में अपील की तो पाराशर जी से मिलने चेन्नई गए। उन्होंने तुरंत कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पैरवी हम करेंगे। उन्होंने पश्चाताप प्रकट किया कि अस्वस्थता के कारण वो लखनऊ में मुकदमे की पैरवी के लिए नहीं जा सके। पाराशर जी की फीस 25 लाख रुपये प्रतिदिन की बताई गई थी लेकिन उन्होंने एक भी पैसा नहीं लिया।

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