शहरी मोहल्ले भी जलमग्न, हर तरफ आफत
जागरण संवाददाता बलिया जिले में गंगा का जलस्तर बढ़ने से शहर का भी निचला इलाका जलमग्न हो ग
जागरण संवाददाता, बलिया : जिले में गंगा का जलस्तर बढ़ने से शहर का भी निचला इलाका जलमग्न हो गया है। लोगों के घरों तक पानी पहुंच गया है। महावीर घाट, गायत्री मंदिर, निहोरा नगर, बनकटा मोहल्ला व शनिचरी घाट, लाट घाट सहित अन्य मोहल्लों की स्थिति नारकीय हो गई है। लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। कई मोहल्लों में लोग अपने छतों पर शरण लिए हैं। शहर से सटे हैबतपुर गांव, माल्देपुर संगम घाट के पास करोड़ों की लागत में कटान से बचाव के लिए जीओ बैग तकनीक से बना ठोकर के बाद भी अब तक सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि गंगा में समा गई है। इससे किसानों में भय व्याप्त है। नदी के तटवर्ती इलाके मुबारकपुर, खोरीपाकड़ विजयीपुर में किसान लगान पर खेत लेकर सब्जी की खेती किए थे, उनकी फसल भी नष्ट हो गई है। दियारा क्षेत्र कंसोपुर, वजीरापुर, पकौली में रहने वाले लोग जान जोखिम में डाल कर आवागमन कर रहे हैं। इन क्षेत्रों के लोग अपनी पशुओं लेकर सुरक्षित स्थानों पर भाग रहे हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की बिजली काट देने से भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। लोग पीने के पानी तक के लिए तरस रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक तो बाढ़ की वजह से पहले से ही परेशानी का आलम है, वहीं पीने के पानी के लिए भी लोगों को तरसना पड़ रहा है।
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बड़का खेत से निकाले जा रहे पशु भरौली : गंगा के जलस्तर लगातार वृद्धि के कारण नरही और बड़का खेत के दियारे में फंसे पशुओं को लगातार निकाला जा रहा है। इसकी खबर ग्रामीणों ने तहसीलदार सदानंद सरोज को दी। जिसके बाद तहसीलदार मौके पर पहुंचकर कुलड़िया पलिया खास के पशुओं को नाव लगाकर पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का कार्य शुरू कराया। तहसीलदार एवं कानूनगो लगातार क्षेत्र का भ्रमण कर जायजा ले रहे हैं।
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सिताबदियारा क्षेत्र में दो नदियों का कहर
बैरिया : जेपी के गांव सिताबदियारा क्षेत्र में गंगा और सरयू दोनों का कहर जारी है। बाढ़ का पानी पूर्वी दलजीत टोला, भगवान टोला के बाद अब भवन टोला की ओर बढ़ रहा है। यहां किसानों के फसलों को भी बड़ा नुकसान पहुंच रहा है। इसी क्षेत्र में अठगांवा में भी पानी प्रवेश करने लगा है। हालांकि सरयू घटाव की ओर है लेकिन सिताबदियारा में गंगा और सरयू दोनों का संगम होने के चलते किसी एक नदी में भी बढ़ाव होता है तो दोनों नदियां उफान पर होने लगती है। जिला प्रशासन की ओर से इन इलाकों में अभी तक कोई राहत के इंतजाम नहीं किए गए हैं।