दफ्तरों में घूमती रही फाइल, जामुन के पेड़ के नीचे दबकर मर गया शायर

दफ्तरों में फाइल घूमती रही और जामुन के पेड़ के नीचे शायर दबकर

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 07:06 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 07:06 PM (IST)
दफ्तरों में घूमती रही फाइल, जामुन के पेड़ के नीचे दबकर मर गया शायर
दफ्तरों में घूमती रही फाइल, जामुन के पेड़ के नीचे दबकर मर गया शायर

जागरण संवाददाता, बलिया : दफ्तरों में फाइल घूमती रही और जामुन के पेड़ के नीचे शायर दबकर मर गया। सरकारी तंत्र और लालफीताशाही पर व्यंग्यात्मक कहानी जामुन के पेड़ की नाट्य प्रस्तुति ने व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। कृष्ण चंदर की बहुचर्चित कहानी जामुन का पेड़ की नाट्य प्रस्तुति अमृतपाली स्थित स्कूल में रविवार को की गई। संकल्प साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था के रंगकर्मियों ने इसे मंच पर अपने शानदार अभिनय से जीवंत कर दिया। कहानी में एक शायर जामुन के पेड़ के नीचे दब गया है। उसे बाहर निकालने की बजाय सरकारी दफ्तरों में पेड़ के नीचे से निकालने के लिए फाइल तैयार होती है। यह फ़ाइल दफ्तरों में घूमती रहती है और अंतत: शायर मर जाता है। नाटक की बेहतर प्रस्तुति कर कलाकारों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। इसमें आनंद कुमार चौहान, ट्विकल गुप्ता, अनुपम पांडेय, अखिलेश मौर्य, मुकेश चौहान, शुभम द्विवेदी, राहुल रावत, आलोक कुमार ने शानदार भूमिका निभाई। नाटक की मंचीय परिकल्पना और निर्देशन रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने किया। रंगकर्मियों ने कबीर भजन और जनगीत प्रस्तुत किया। गोष्ठी में रामजी तिवारी ने कहा कि वर्तमान समय में यह सत्य है कि लोग साहित्य से दूर होते जा रहे हैं। इसका खामिया•ा समाज को भुगतना पड़ रहा है। गोष्ठी में डा. अमलदार निहार, डा. मनजीत सिंह, अशोक ने अपने विचार रखें। इस मौके पर पंडित ब्रज किशोर त्रिवेदी, श्वेतांक सिंह, समीर पांडेय, डा. राजेंद्र भारती, शिवजी पांडेय रसराज, शशि प्रेमदेव, उमेश सिंह, उपेंद्र सिंह, रामप्रकाश, अरविद उपाध्याय, डा. कादंबिनी सिंह आदि मौजूद थे। संचालन अचिंत्य त्रिपाठी व आभार संजय कुमार ने व्यक्त किया।

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