खुद के व्यक्तित्व से शिक्षक ला सकते छात्रों में उदारता का भाव

जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पंडित दीनदयाल शोधपीठ द्वारा वर्तमान श्

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 07:10 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 07:10 PM (IST)
खुद के व्यक्तित्व से शिक्षक ला सकते छात्रों में उदारता का भाव
खुद के व्यक्तित्व से शिक्षक ला सकते छात्रों में उदारता का भाव

जागरण संवाददाता, बलिया : जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पंडित दीनदयाल शोधपीठ द्वारा 'वर्तमान शैक्षिक परि²श्य में विश्वविद्यालयों की भूमिका' विषय पर रविवार को राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। 'युवाओं के चरित्र निर्माण में विश्वविद्यालयों के योगदान' विषय पर केंद्रीय विश्वविद्यालय मणिपुर के पूर्व कुलपति प्रो आद्या प्रसाद पांडेय ने कहा कि छात्रों में उदारता, सहृदयता, साहस, निष्ठा, सरलता आदि गुण एक शिक्षक अपने व्यक्तित्व के जरिये ठीक कर सकता है। छात्र उस अवस्था में प्रवेश लेता है, जब उसके व्यक्तित्व के विकास की प्रक्रिया चल रही होती है।

दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि कोविड के दौर में दुनिया के विश्वविद्यालय तेजी से बदल रहे हैं, यह हमारे लिए एक चुनौती है। इसे हमें स्वीकार करते हुए तकनीक और नवाचार पर बल देना होगा। राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि आनलाइन शिक्षा प्रणाली गुरु-शिष्य शिक्षा प्रणाली का विकल्प नहीं हो सकती। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के पास बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। आनलाइन शिक्षा पूरी तरह से नहीं अपनाई जा सकती है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो. हरेश प्रताप सिंह ने कहा कि वर्तमान में कई विश्वविद्यालय ऐसे हैं, जो साधन संपन्न हैं। ऑनलाइन पढ़ाई, परीक्षा और मूल्यांकन करा सकते हैं लेकिन अधिकांश विश्वविद्यालय ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कल्पलता पांडेय ने कहा कि युवाओं के चरित्र निर्माण में विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। संचालन डा. रामकृष्ण उपाध्याय, संयोजक दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ, अतिथियों का स्वागत डा. प्रमोद शंकर पांडेय एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. जैनेंद्र पांडेय ने किया। इस अवसर पर प्रो. जेपीएन पांडेय, प्रो. डीके मदान, प्रो. जसवीर सिंह, प्रो. प्रवीण, डा. प्रतिभा त्रिपाठी, डा. गणेश पाठक, डा. साहेब दुबे सहित कई विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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