25 दिसंबर बाद गेहूं की बोआई से उपज पर प्रतिकूल प्रभाव
जागरण संवाददाता नरहीं (बलिया) रबी की फसलों दलहनी व तिलहनी की बोआई तो हो चुकी है। गेहूं की बोवाई 25 दिसंबर के बाद करने पर उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
जागरण संवाददाता, नरहीं (बलिया) : रबी की फसलों दलहनी व तिलहनी की बोआई हो चुकी है। गेहूं की बोवाई 25 दिसंबर के बाद करने पर उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अभी गेहूं की बोवाई का समय चल रहा है जो निर्धारित समयावधि तक हो जाना चाहिए।
यह बात कृषि विज्ञान केंद्र सोहांव बलिया के अध्यक्ष प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ने कहीं। गेहूं की खेती करने वाले किसानों को सुझाव दिया कि सिचित अवस्था में देरी से बोवाई हेतु एचडी.2985, डब्ल्यू आर544, राज-3765, बीबीडब्ल्यू 16, यूपी.2425 आदि प्रमुख प्रजातियां हैं। इनकी बोवाई का उचित समय 25 नवंबर से 25 दिसंबर होता है। सीड ड्रिल से बोवाई करनी चाहिए। प्रति एकड़ बीज सामान्य दशा में 40 किलोग्राम व उर्वरक की मात्रा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर संस्तुति के अनुसार प्रयोग करें। प्रति एकड़ में 24 कुंतल गोबर की सड़ी खाद, डीएपी 52 किग्रा, यूरिया 42.5 किग्रा, म्यूरेट आफ पोटाश 26 किग्रा बोवाई से पहले बेसन ड्रेसिग में प्रयोग करें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेंटीमीटर तथा गहराई 4 सेंटीमीटर रखें।
दीमक का प्रकोप हो वहां वयूवेरिया वैसियाना 1.15 प्रतिशत एक किग्रा मात्रा को 25 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर एक सप्ताह तक नम व छायादार स्थान पर रखकर बोआई से पहले खेत में मिला दें। पहली सिचाई बोवाई से 20 से 25 दिन बाद आवश्यकतानुसार करें तथा यूरिया की 21.25 किग्रा मात्रा की टॉप ड्रेसिग करें। आवश्यकतानुसार समय-समय पर सिचाई करें।