बेटा घर आ जाओ, नमक-रोटी ही खा लेंगे
सूर्यपूरा की रहने वाली ललिता देवी का बेटा उपेंद्र प्र
जागरण संवाददाता, बेरुआरबारी (बलिया) : सूर्यपूरा की रहने वाली ललिता देवी का बेटा उपेंद्र प्रसाद मणिपुर इंफाल में मजदूरी करता है। वे बेटे से मोबाइल पर बस इतना ही कहती हैं कि किसी तरह घर आ जाओ। यहां पर नमक-रोटी ही खा लेंगे। सुख-दुख में साथ रहेंगे। इस पर बेटा जल्द लौटने का आश्वासन देता है। यह पीड़ा देख आसपास मौजूद लोगों का मन द्रवित हो जाता है।
कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच ऐसे कई परिवार हैं जिन्हें अपनों की चिता सता रही है। जिनके घर के लोग मुंबई, दिल्ली, गोवा, अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में रोजगार के सिलसिले में गए हैं उन पर आशंकाओं के बादल हैं। प्रवासी मजदूरों के परिजन उनसे फोन पर बात कर लगातार हालचाल ले रहे हैं। उन्हें संक्रमण से बचकर रहते हुए सुरक्षित वापसी की बात कह रहे हैं। अपनों की वापसी पर एक टक लगी हैं निगाहें
सूर्यपुरा, कैथवली, मैरिटार, राजपुर आदि गांवों के सैकड़ों मजदूर गोवा, गुजरात व महाराष्ट्र के शहरों में काम करते हैं। अधिकांश मल्लाह हैं। कोई धागा मिल, कपड़ा मिल तो कोई मछली पकड़ने के काम में लगा है। अपनों के वापस आने के इंतजार में निगाहें एक टक लगीं हैं। टिकट मिलते ही चले आएंगे
मुंजी प्रसाद का बेटा रूपेश कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में मजदूरी का काम करता है। उन्होंने बताया कि जब भी मोबाइल पर बात होती है तो बेटा कहता है कि बड़ी मुसीबत आ गई है। कब क्या होगा कुछ बता नहीं सकते। आप सब खुद को इस महामारी से बचा कर रखना। हमारी रक्षा तो बस ईश्वर के भरोसे है। चारों तरफ काम-धंधे बंद हैं। जैसे ही गाड़ी का टिकट मिलेगा गांव चले आएंगे।