एसटीएफ व एसओजी को थी फरार हत्यारोपित की लंबे समय से तलाश

जागरण संवाददाता बलिया आजीवन सजा काटने के दौरान पेरोल पर छूटने के बाद फरार चल रहे

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 05:58 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 05:58 PM (IST)
एसटीएफ व एसओजी को थी फरार हत्यारोपित की लंबे समय से तलाश
एसटीएफ व एसओजी को थी फरार हत्यारोपित की लंबे समय से तलाश

जागरण संवाददाता, बलिया : आजीवन सजा काटने के दौरान पेरोल पर छूटने के बाद फरार चल रहे बीएसएफ के बर्खास्त जवान अनिल सिंह की गिरफ्तारी आसान नहीं थी। उसकी तलाश एसटीएफ व एसओजी टीम को लंबे समय से थी। पुलिस कई बार दबिश दे चुकी है। जम्मू के खनवर ताल में तैनाती के दौरान इसने छह जनवरी 1994 को मां-बहन को गाली देने पर बीएसएफ के सूबेदार को गोलियों से भून दिया था। उसे कोर्ट मार्शल व आजीवन कारावास की सजा हुई थी। दिल्ली जेल में सजा काटने के दौरान ही उसे कोलकाता के बैरकपुर जेल भेजा गया। यहां पर वह कुछ दिनों के बाद सेंट्रल जेल वाराणसी आ गए। इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने 2005 में उसे छह माह के पेरोल पर छोड़ने का आदेश दिया। इसके बाद वह वापस नहीं गए। इसकी तिथि 13 अप्रैल 2006 को पूरी हो गई थी। इसके बाद वह फरार हो गया। इसकी तलाश के लिए एसटीएफ वाराणसी व गोरखपुर संग एसओजी की टीमें लंबे समय से लगीं हुईं थी।

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हमशक्ल भाई का उठा रहा था फायदा

बैरिया : हल्दी पुलिस के हत्थे चढ़े सेट्रल जेल वाराणसी से फरार इनामी अनिल गांव पर अपने जुड़वा भाई अवधेश सिंह के हमशक्ल होने का फायदा उठा रहा था। इनके बड़े भाई दिल्ली में किसी फैक्ट्री में काम करते है। इधर बीच वह गांव चले आए थे। दोनों को एक साथ गांव में देख लोगों को शंका हुई। इसकी भनक लगते ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इनके दो नाबालिग बच्चे हैं। एसओ ने बताया कि दोनों भाइयों का चेहरा व शरीर एक जैसा है। ऐसे में कौन अनिल है, यह समझना काफी मुश्किल था। दोनों के सामने होने पर स्थिति स्पष्ट हुई।

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