आम के पेड़ों पर कम दिख रहे टिकोरा

विकास खंड पंदह अन्तर्गत ग्रामसभा एकइल में वर्षों पूर्व बनाया गया पशुधन प्रसार केंद्र ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच चुका है। आश्चर्य तो यह है कि उक्त भवन हस्तांतरित होने के पूर्व ही धराशाई होने की दहलीज पर पहुंच गया। बता दें कि उक्त केन्द्र का निर्माण तकरीबन दो दशक पूर्व कराया गया लेकिन वर्षों बाद भी कार्यदायी संस्था ने इसे विभाग को हस्तांतरित नहीं किया। सालों से उपेक्षित यह भवन आज की स्थिति में ध्वस्त होने के कगार पर खड़ा है। जो कभी भी जमींदोंज हो सकता है। इस संबंध में ग्रामीणो का कहना है कि केन्द्र के निर्माण में घोर अनियमितता बरती गई थी। इलाके के कमल कांत सिंह का कहना है कि मानक के विपरीत निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने काफी विरोध किया था लेकिन कुछ हासिल नहीं हो पाया। उसी का नतीजा है कि भवन ध्वस्त होने की स्थिति में पहुंच गया हे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 18 Apr 2019 10:23 PM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2019 06:10 AM (IST)
आम के पेड़ों पर कम दिख रहे टिकोरा
आम के पेड़ों पर कम दिख रहे टिकोरा

जासं, बैरिया (बलिया) : आम इस साल आम लोगों के लिए नहीं, बल्कि खास लोगों के लिए उपलब्ध होगा, क्योंकि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष आम के पेड़ों में 70 प्रतिशत मंजर कम आए थे। उन मंजरों में आम के छोटे-छोटे फल लगे थे, लेकिन वे भी बेमौसम की बरसात व ओलावृष्टि से नष्ट हो गए। क्षेत्र के बगीचे मंजरविहीन दिख रहे हैं। फल व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि पिछले दो दशकों में इतने कम मंजर आम के पेड़ों पर कभी नहीं दिखे थे। ऐसा क्यों हुआ है, इस संदर्भ में लोग अपने-अपने तरीके से तर्क देने में लगे हुए हैं, लेकिन इस विषय में उद्यान विभाग के एक अवकाश प्राप्त अधिकारी रामकुमार का कहना है कि इसका एकमात्र कारण मौसम की बेरुखी है। आम के पेड़ों पर इस क्षेत्र में मंजर व टिकोरा कम दिख रहे हैं, लेकिन देश के अन्य क्षेत्रों में आम की अच्छी पैदावार होगी।

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