छाया अंधेरा, टूट गए बेड, पंखे खोल ले गए चोर
जागरण संवाददाता नगरा ( बलिया) कोरोना को लेकर जनपद की स्वास्थ्य सेवाओं में काफी कुछ
जागरण संवाददाता, नगरा ( बलिया): कोरोना को लेकर जनपद की स्वास्थ्य सेवाओं में काफी कुछ बदलाव हुआ है, लेकिन ग्रामीण अस्पतालों के प्रति जिम्मेदार लापरवाह हैं। उदाहरण के तौर पर नगरा सीएचसी को देखें। एक करोड से निर्मित सीएचसी खुद ही बीमार है। मरीज उपचार के लिए मऊ और वाराणसी का चक्कर लगाने को विवश हैं, इससे उनका शोषण भी हो रहा है। अस्पताल में न तो बिजली है, न ही जेनरेटर की ही सुविधा। इसमें रखा जेनरेटर लंबे समय से खराब पडा हुआ है। 30 बेड के अस्पताल में जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच चुके केवल आधा दर्जन बेड हैं। कई टूट गए हैं। अस्पताल के आपरेशन कक्ष में गंदगी है। इसमें रखे जर्जर बेड अपनी उपेक्षा की कहानी बयां कर रहें हैं। अस्पताल में एक्सरे मशीन भी नहीं है। अस्पताल की अभी तक बाउंड्री नहीं बनी है। अराजक तत्व हमेशा यहां अपना अड्डा बनाए रहते हैं। अस्पताल में बिजली का कनेक्शन भी नहीं है। अंदर लगे पंखों ने चोर खोल ले गए।
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2013 में पूर्व विधायक ने किया था लोकार्पण
नगरा के सीएचसी का लोकार्पण 2013 में पूर्व विधायक सनातन पांडेय ने किया था। आज तक कभी भी यह सीएचसी सुविधाओं से लैस नहीं हुआ। सीएचसी में 14 चिकित्सक होने चाहिए, लेकिन केवल दो चिकित्सक ही तैनात हैं। एक महिला व एक पुरुष चिकित्सक मरीजों का इलाज करतें हैं। पिछले वर्ष यहां पर तैनात अधीक्षक, बालरोग विशेषज्ञ डा. अमित कुमार राय व डा. सगीर बारी ने नौकरी से इस्तीफा दे दिए।
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बेकार पडे हैं चिकित्सकों के आवास
सीएचसी परिसर में निर्मित चिकित्सकों के आधा दर्जन आवास बेकार पडे हुए हैं। कार्यदायी संस्था द्वारा अभी तक स्वास्थ्य विभाग को हस्तानांतरित भी नहीं किया गया है। आवास में लगे जंगला, खिडकी सब टूट गए हैं।
----वर्जन----
सीएचसी की समस्याओं से उच्चाधिकारियों को हमेशा अवगत कराया जाता है। यदि शासन से सारी सुविधाएं उपलब्ध हो जाएं तो यह सीएचसी इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगा। बजट के अभाव में सीएचसी बदहाल स्थिति में है।
डा. टीएन यादव, प्रभारी चिकित्साधिकारी, नगरा