कैबिनेट की मंजूरी के बाद भी घाघरा नहीं बन सकीं सरयू
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में जनवरी 2020 में हुई कैबिनेट की
लवकुश सिंह
बलिया : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में जनवरी 2020 में हुई कैबिनेट की बैठक में घाघरा नदी का नाम बदलकर सरयू नदी करने की मंजूरी दी गई थी। उस दौरान राजस्व अभिलेखों में भी घाघरा नदी का नाम बदलकर सरयू नदी करने के प्रस्ताव पर सहमति बनी थी। घाघरा के नाम परिवर्तन के इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजने के लिए भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी लेकिन आज तक घाघरा नदी सरयू नहीं बन सकीं। सिचाई विभाग के सरकारी दस्तावेजों में सरयू को अभी भी घाघरा नाम से ही व्यक्त किया जा रहा हैं। बलिया में सिचाई विभाग के बाढ़ खंड की ओर से जारी नदियों के जलस्तर की रिपोर्ट में हर दिन सरयू की जगह घाघरा नदी ही लिखा जा रहा है। आसपास इलाके में भी लोग अभी सरयू को घाघरा ही बोल रहे हैं। इससे लोग भ्रमित हो रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने सरयू नदी की पौराणिकता को भी प्रमाणित किया था। दक्षिण तिब्बत की मानससर एवं राक्षससर पर्वतमाला से निकलने वाली सरयू अपने सफर में घाघरा ही नहीं हुमला-करनाली, कौडियाला और गिरवा जैसे कई और नामों से पहचानी जाती हैं। नदी करदन, तकलकोट होते हुए सियर के पास नेपाल में यह प्रवेश करती है। यहां की भेरी नदी से मिलकर इसका नाम कौडियाला और इसके आगे गिरवा हो जाता है। अयोध्या में सरयू नाम तो मिल जाता था, लेकिन बस्ती और गोरखपुर, देवरिया, बलिया आदि जिलों में यह फिर घाघरा ही कही जाने लगती हैं। सरयू नदी का मिलन जेपी के गांव सिताबदियारा के बड़का बैजू टोला में होता है। नेपाल से बलिया के सिताबदियारा तक इस नदी की लंबाई 1080 किलोमीटर है। जनपद में सरयू का प्रवाह क्षेत्र लगभग 120 किमी है। अब लगभग सभी जगहों पर घाघरा नदी को सरयू ही लिखा जा रहा है। परियोजनाओं के नामों में अब कहीं भी घाघरा नदी नहीं लिखा जाएगा। जलस्तर की रिपोर्ट का पुराना फारमेट होगा, उसमें भी सुधार होगा।
-संजय मिश्र, अधिशासी अभियंता, सिचाई विभाग