गंगा में जल परिवहन शुरू करने की योजना ठंडे बस्ते में
इलाहाबाद से हल्दिया तक गंगा में जल परिवहन (जहाज आने-जाने) की केंद्र सरकार की योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। पिछले वर्ष गंगा में सुविधाजनक तरीके से जहाजों के आने-जाने के लिए डेजिग करके नदी के बीच बने बालू के टीलों को साफ कराने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए।
जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : इलाहाबाद से हल्दिया तक गंगा में जल परिवहन (जहाज आने-जाने) की केंद्र सरकार की योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। पिछले वर्ष गंगा में सुविधाजनक तरीके से जहाजों के आने-जाने के लिए ड्रेजिग करके नदी के बीच बने बालू के टीलों को साफ कराने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। लोगों को उम्मीद थी कि 2019 का चुनाव शुरू होने से पूर्व जल परिवहन शुरू हो जाएगा कितु ऐसा कुछ नहीं हुआ।
बरसात के बाद जगह-जगह गंगा पर बनने वाले पीपा पुलों को सरकार ने बनने से यह कहकर रोक दिया था कि इस रास्ते मालवाहक जहाज आएंगे-जाएंगे, इसलिए पीपा का पुल नहीं बन सकता कितु मार्च महीने में सरकार ने अचानक पूर्व के स्थानों पर पीपा पुल बनाने की सहमति प्रदान कर दी और जहाज परिवहन की योजना शुरू नहीं की जा सकी। लोगों का कहना है कि अगर गंगा में जल परिवहन शुरू हो जाता तो प्रदूषण कम होने के साथ-साथ सड़कों पर मालवाहक परिवहन का दबाव काफी हद तक कम हो जाता।
सस्ता व सुविधाजनक तरीके से व्यवसायी एक शहर से दूसरे शहर माल ले जाते। इस मामले पर अब कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है। पिछले वर्ष अक्टूबर-नवंबर महीने में पचरुखिया, मझौवां, व्यासी, नौरंगा, शिवपुर घाट व उसके आगे बिहार तक गंगा में ड्रेजिग के माध्यम से नदी को साफ किया गया था। उस समय ऐसा लगा कि जल्द ही गंगा में जल परिवहन शुरू हो जाएगा। इसके लिए भारत सरकार के विभागीय मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा करते हुए कहा था कि गंगा में जल परिवहन शुरू होने से लोगों की सहूलियतें काफी बढ़ेंगी, कितु अब ऐसा लगता है कि यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई है। तटवर्ती लोगों ने इस संदर्भ में संबंधित विभाग के अधिकारियों से स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया है।