सरकारी भवनों में नहीं हैं रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम, 3150 स्थान चिह्नित

जागरण संवाददाता बलिया जल संचयन की दिशा में अभी जागरूकता की जरूरत है। इसको लेकर सरकार

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 05:41 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 05:41 PM (IST)
सरकारी भवनों में नहीं हैं रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम, 3150 स्थान चिह्नित
सरकारी भवनों में नहीं हैं रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम, 3150 स्थान चिह्नित

जागरण संवाददाता, बलिया : जल संचयन की दिशा में अभी जागरूकता की जरूरत है। इसको लेकर सरकारी संस्थान भी तनिक गंभीर नहीं हैं। इससे संबंधित योजनाओं की फाइलें विभागों में दौड़ रही हैं। कलेक्ट्रेट हो या विकास भवन की ऊंची बिल्डिग कहीं रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम स्थापित नहीं हो पाया है। प्रशासन ने 3150 स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिग के सिस्टम स्थापित करने की योजना काफी पहले बनाइ्र। इसके बाद भी अभी इसे मूर्त रूप देने की दिशा में कोई काम दिखाई नहीं दे रहा है।

बेसिक शिक्षा विभाग के लगभग 2669 भवनों व विद्यालयों पर रेन वाटर हार्वेस्टिग बनाने की तैयारी है। इसके साथ ही समस्त खंड विकास कार्यालय, जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय के अधीन 481 स्थानों, जिला प्रशिक्षण अधिकारी कार्यालय, स्टेडियम, ट्रेजरी, अग्निशमन कार्यालय, पुलिस आफिस समेत विभिन्न स्थानों पर प्रस्ताव है।

वर्षा जल का कर सकते हैं सदुपयोग :

जल संरक्षण के लिए बनाए जाने वाले रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम के निर्माण में डेढ़ से दो लाख रुपये तक का खर्च आता है। नोडल श्याम सुंदर यादव ने बताया कि अगर छत एक हजार वर्ग फीट में है तो वहां एक घंटे की बारिश में काफी पानी जमा होगा। इसका सदुपयोग किया जा सकता है।

मनरेगा से किसान पा सकते हैं सुविधा :

किसानों को यह सुविधा भी प्रदान की गई है कि वे अपने खेतों में समतलीकरण व मेड़बंदी के माध्यम से गड्ढे आदि की मदद से बरसात के पानी का संचय कर सकते हैं। इसके लिए ब्लाक पर तैनात जेई एमआई से संपर्क करके निर्धारित प्रारूप में फार्म भरकर मनरेगा के तहत अपने खेत में काम करवा सकते हैं। इससे बड़े पैमाने पर जल संरक्षण किया जा सकेगा।

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सरकारी संस्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाए जाने की योजना है। इसके लिए चिह्नांकन का कार्य पूरा कर लिया गया है। जल्द ही काम भी शुरू कर दिया जाएगा। संबंधित विभागों से लगातार पत्राचार व संपर्क भी किया जा रहा है। इसमें कई विभागों को अनदेखी करने पर उन्हें रिमाइंडर भी भेजा गया है।

-श्याम सुंदर यादव, नोडल अधिकारी, जल संरक्षण, सहायक अभियंता, लघु सिचाई।

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