कोरोना को मात देने के लिए करने पड़ेंगे जतन, बढ़ाने होंगे इंतजाम

जागरण संवाददाता बलिया कोरोना की दूसरी लहर में संसाधनों के अभाव में स्वास्थ्य विभाग पूरी तर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 06:12 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 06:12 PM (IST)
कोरोना को मात देने के लिए करने पड़ेंगे जतन, बढ़ाने होंगे इंतजाम
कोरोना को मात देने के लिए करने पड़ेंगे जतन, बढ़ाने होंगे इंतजाम

जागरण संवाददाता, बलिया : कोरोना की दूसरी लहर में संसाधनों के अभाव में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से लाचार था। आक्सीजन और उपचार के लिए मरीजों को ग्रामीण क्षेत्रों में कोई व्यवस्था नहीं मिल रही थी। जिला मुख्यालय तक के अस्पतालों में व्यवस्था की पोल खुलने लगी थी। बदतर व्यवस्था देख लोग अस्पताल जाने के बजाय घरों पर रहकर अपना उपचार कराते रहे। सुविधा के अभाव में बहुत से लोगों की असमय मृत्यु हो गई। इन हालातों से अवगत होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने के प्रति गंभीर नहीं दिख रहे। कोरोना की तीसरी लहर कब आएगी, कुछ भी नहीं कहा जा सकता। चिकित्सक बताते हैं कि तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा है। कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने की तैयारी की पड़ताल करने पर बांसडीह और रसड़ा तहसील के अस्पतालों में जो तस्वीर दिखी, उसके दम पर कोरोना से जंग नहीं जीती जा सकती। पुरानी व्यवस्था को ही नया बताकर स्वास्थ्य विभाग अपनी पीठ थपथपाने में जुटा है।

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-आक्सीजन प्लांट के लिए सिर्फ जगह का मुआयना :

बांसडीह ब्लाक परिसर में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, वहीं दूसरा अगऊर में। दोनों स्थानों के अस्पतालों पर पुरानी व्यवस्था के दम पर ही कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने की तैयारी है। आक्सीजन आपूर्ति के लिए नियुक्त ठेकेदार एक माह पूर्व आकर प्लांट के लिए जगह देख गए, लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ। फिलहाल छह कसंट्रेटर मिले हैं। --इन अस्पतालों पर नहीं जाते चिकित्सक :

स्वास्थ्य केंद्र मंगलपुरा, चांदपुर, और खरौनी पर नियुक्त चिकित्सक जाते ही नहीं हैं। इस क्षेत्र के लोग नीम-हकीमों से अपना उपचार कराने को विवश हैं। बेरुआरबारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दशा भी वही है। कोरोना को लेकर कोई नई तैयारी नहीं है। मनियर रिगवन में वर्षों से बनकर तैयार सीएचसी विभागीय उपेक्षा का शिकार है। नवीन पीएचसी बड़ागांव और बालूपुर में डाक्टर नियुक्त तो हैं लेकिन वे अस्पताल पर कभी नहीं दिखते।

सीएचसी रेवती में उपलब्ध हैं 20 कसंट्रेटर : सीएचसी रेवती अंतर्गत सहतवार, हुसेनाबाद, कुसौरीकला व भोपालपुर में चार पीएचसी हैं। सीएचसी को कोरोना मरीजों को भर्ती करने के लिए चयनित किया गया है। यहां पुराने 30 बेड पर आक्सीजन की व्यवस्था के लिए 20 कसंट्रेटर और दो बड़े सिलेंडर भेजे गए हैं, लेकिन आसपास के अस्पतालों पर चिकित्सकों से लेकर सुविधाओं का अभाव है।

रसड़ा में सीमित संसाधनों के दम पर लड़ेंगे कोरोना से जंग

रसड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर कोरोना की संभावित तीसरी लहर के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा पहले की अपेक्षा कुछ सुविधाएं जरूर बढ़ाने का प्रयास किया गया है, लेकिन लाखों की आबादी के बीच स्थित सीएचसी पर वतर्मान की व्यवस्थाएं व सीमित सुविधाएं निश्चित तौर पर आपातकालीन स्थिति का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। 30 बेड वाले इस सीएचसी पर विधायक उमाशंकर सिंह ने 10 आक्सीजन सिलेंडर के साथ तीन कसंट्रेटर उपलब्ध कराए हैं, लेकिन विभाग की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।

-----वर्जन-----जनपद के सभी सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधाएं बढ़ाई जा रहीं हैं, कुछ समय लगेगा। अस्पतालों में आक्सीजन की व्यवस्था पाइप लाइन से की जा रही है। विभाग तीसरी लहर से लड़ने को हर तरह से तैयार हो रहा है।

--डा. तन्मय कक्कड़, सीएमओ।

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