भृगु धरती की पंचकोशी यात्रा में श्रद्धालुओं संग परिक्रमा करते हैं देवता
जागरण संवाददाता बलिया कार्तिक महीना बलिया के लिए विशेष महत्व वाला होता है। इसी माह में द
जागरण संवाददाता, बलिया : कार्तिक महीना बलिया के लिए विशेष महत्व वाला होता है। इसी माह में दीपावली के दिन से पंचकोशी परिक्रमा यात्रा शुरू होती है। मान्यता है कि पंचकोशी परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं के साथ अप्रत्यक्ष रूप से देवता भी साथ चलते हैं। यहां के लोग बताते हैं कि सतयुग में पुष्कर क्षेत्र, त्रेता में नैमिषारण्य क्षेत्र, द्वापर में कुरुक्षेत्र तथा कलियुग में भृगु क्षेत्र का विशेष महत्व है। तीनों लोकों के देवी, देवता, गन्धर्व, ऋषि महर्षि इस मास में आकर दर्दर क्षेत्र में कल्पवास करते हुए पंचकोशी परिक्रमा कर पुण्य के भागी बनते हैं। यह परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। चौबे छपरा के उमेश चौबे कहते हैं कि मेरे परिवार से इस परिक्रमा में लंबे समय से पूर्वज शामिल होते रहे हैं। पंचकोशी परिक्रमा प्रतिवर्ष दीपावली के दिन से रवाना होती है जो सागरपाली गर्गाश्रम, देवकली, छितौनी से परसिया होते हुए वापस भृगु मंदिर पर आकर समाप्त होती है। इस साल भी इसकी भव्य तैयारी है। इस साल चार नंवबर को चौबेछपरा स्थित ठाकुर जी के मंदिर से ठाकुर जी को लेकर यह परिक्रमा प्रारंभ हो रही है जो शाम को भृगु मंदिर पहुंचेगी। पांच नवंबर को गर्गमुनी के आश्रम, छह को देवकुलेश्वरी महादेव देवकली, सात को छितेश्वर महादेव छितौनी, आठ को पराशर मुनी आश्रम परसिया, नौ नवंबर को परसिया से यह परिक्रमा यात्रा पुन: भृगु मन्दिर पर पहुंचकर पूर्ण होगी।
--------------------
भृगु धरती पर स्थान का है बड़ा महत्व
अध्यात्म में विशेष ज्ञान रखने वाले आयुष डाक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. राम सुरेश राय कहते हैं..षष्ठी वर्ष सहस्त्राणि काशीवासस्तु यत्फलम, तत्फलम भृगुक्षेत्रे कलौ दर्दरसंगमे' अर्थात काशी में 60 हजार वर्ष सेवा करने से जो फल की प्राप्ति होती है, वह कलयुग में भृगु क्षेत्र के दर्दर संगम तट पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन रात्रि निवास करने मात्र से मिल जाती है। भृगु क्षेत्र के गंगा और तमसा संगम तट पर स्नान पूजन करने के साथ त्रिमेखल चतुर्भुज श्रीविष्णु के शरीर व चारों भुजा क्षेत्र भृगु आश्रम, गर्गा आश्रम, विमलेश्वर महादेव, कुशेश्वर महादेव व पराशर आश्रम का स्पर्श मात्र करने से व्यक्ति अपने कुल का उद्वार कर मोक्ष की प्राप्ति मिलती है।