इस बार गुल खिलाएगा सियासी कॉकटेल
जिला पंचायत सदस्य सीटों का लेखा-जोखा 58 कुल सीट 9 भाजपा 11 सपा 10 बसपा 11 सुभासपा
जिला पंचायत सदस्य सीटों का लेखा-जोखा
58 : कुल सीट
9 : भाजपा
11 : सपा
10 : बसपा
11 : सुभासपा
3 : कांग्रेस
14 : निर्दल कब किसके पास रही कुर्सी
वर्ष पार्टी जिपं अध्यक्ष
1995 सपा नंदजी यादव
2000 बसपा भारती सिंह
2005 सपा राजमंगल यादव
2010 बसपा रामधीर सिंह
2015 सपा सुधीर पासवान संग्राम सिंह, बलिया
जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन बैठेगा। सच कहें तो इस समय कोई डंके की चोट पर दावेदारी ठोंकने की स्थिति में नहीं है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद की बोतल में इस बार कई पार्टियों का नशा सिर चढ़कर बोलने वाला है। भाजपा, सपा व बसपा जमीन तैयार करने में जुटी है, लेकिन तीनों के पास जादुई आंकड़ा छूने की हैसियत नहीं है। इस बार सियासी कॉकटेल ही गुल खिलाएगा। कुल 58 में बहुमत के लिए 30 सीटें चाहिए। ऐसे में भाजपा को नौ, सपा 11 व बसपा के पास 10 सीटें हैं। निर्दलीय 14 व सुभासपा के 11 सदस्य 'किग मेकर' की भूमिका में खड़े दिखाई पड़ रहे हैं। भाजपा सबको डोरे डाल रही है। उनके लिए चुनौतीपूर्ण इसलिए भी है, क्योंकि यह कुर्सी पिछले 25 सालों से उनसे लगातार फिसलती रही है। हमेशा बसपा व सपा के कब्जे में रही है। इस बार हालात थोड़े अनुकूल हैं। कारण कि वे सत्ता में हैं, साथ ही दो मंत्री, एक सांसद व तीन विधायकों का रसूख भी है। अभी तक भाजपा को दो दावेदार मिले हैं। उनके आवेदनों पर हाईकमान मंथन भी कर रहा है। इसमें पूर्व ब्लाक प्रमुख अच्छेलाल यादव की पत्नी हेमंती यादव और अनीता साहनी हैं। अच्छे भाजपा के बागी हैं, क्योंकि वह 2017 के विधानसभा चुनाव में सिकंदरपुर से टिकट नहीं मिलने पर विरोध में लड़ गए थे। सुभासपा, निर्दलीय व कांग्रेस समर्थित जिपं सदस्यों के भाव चढ़े
भाजपा, सपा व बसपा की सीटें जोड़ दें तो बहुमत का आंकड़ा छुआ जा सकता है। लेकिन ऐसी संभावना नहीं है। उन्हें पता चल गया है कि सभी दलों को सुभासपा, कांग्रेस व निर्दलियों की शरण में जाना ही पड़ेगा। उनकी बैसाखी के बिना कोई कुर्सी पर बैठ नहीं सकता, इसलिये इन प्रत्याशियों के भाव बढ़ गए हैं। पहले भी सपा की सीटें थीं ज्यादा, लेकिन कब्जा हुआ बसपा का
2021 के जिला पंचायत चुनाव में सपा की सीटें भाजपा व बसपा की तुलना में ज्यादा हैं। यह स्थिति एक दशक पहले भी थी, उस समय सपा से राजमंगल यादव व बसपा से रामधीर सिंह लड़े थे, लेकिन जीत रामधीर सिंह की हुई थी। इस पर भी सपा की दावेदारी नेता प्रतिपक्ष रामगोविद चौधरी के पुत्र रंजीत चौधरी के हारने से कमजोर पड़ गई है। बसपा के पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी के पुत्र आनंद चौधरी चुनावी समर में मजबूती से कूद चुके हैं।