तेजी से बढ़ रहा गंगा व सरयू का जलस्तर

जनपद में गंगा और सरयू के जलस्तर में बढ़ाव जारी है। गंगा में तेजी स

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 04:11 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 05:46 PM (IST)
तेजी से बढ़ रहा गंगा व सरयू का जलस्तर
तेजी से बढ़ रहा गंगा व सरयू का जलस्तर

जागरण संवाददाता, बलिया : जनपद में गंगा और सरयू के जलस्तर में बढ़ाव जारी है। गंगा में तेजी से बढ़ाव होने लगा है। सरयू भी दो दिनों से बढ़ाव पर है। इससे तटवर्ती लोगों की चिता बढ़ने लगी है। इस बीच बारिश के कारण भी नदी तट पर निवास करने वाले लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है। शनिवार को गायघाट में गंगा का जलस्तर 53.910 मीटर दर्ज किया गया। एक दिन पहले यहां जलस्तर 53.570 था। गंगा में 16 घंटे में 34 सेंटीमीटर बढ़ाव दर्ज किया गया है। यहां खतरा निशान 57.615 है। गंगा खतरा निशान से 3.705 मीटर नीचे हैं। प्रति घंटा लगभग दो सेमी की रफ्तार से बढ़ाव दर्ज किया गया है।

शनिवार को तुर्तीपार डीएसपी हेड पर सरयू का जलस्तर 64.120 मीटर दर्ज किया गया। एक दिन पहले यहां 64.080 मीटर जलस्तर था। सरयू में 16 घंटे में 4 सेंटीमीटर बढ़ाव हुआ है। यहां खतरा निशान 64.01 है। सरयू खतरा निशान से ऊपर बह रही है। चांदपुर में सरयू का जलस्तर 57.980 मीटर दर्ज किया। एक दिन पहले यहां जलस्तर 57.940 मीटर था। यहां भी चार सेमी बढ़ाव हुआ है। यहां खतरा निशान 58.00 मीटर है। 1982, 1998 और 2016

में हुई थी तबाही

जनपद में गंगा और सरयू के भयंकर बाढ़ के रिकार्ड भी सभी मीटर गेज वाले स्थानों पर दर्ज हैं। उसके तहत 1982, 1998 में सरयू और 2016 में गंगा ने भयंकर तबाही मचाई थी। 1982 में चांदपुर में सरयू का उच्चतम जलस्तर 60.24 मीटर दर्ज किया गया था। इसी तरह 1998 में तुर्तीपार डीएसपी हेड पर उच्चतम जलस्तर 66.00 मीटर दर्ज किया गया था। 2016 में गायघाट में गंगा का उच्चतम जलस्तर 60.390 मीटर दर्ज किया गया था।

हर साल तबाह होती

10 लाख की आबादी

बाढ़ से हर साल लगभग 10 लाख आबादी तबाह होती है। लगभग एक माह तक लोगों को घरों या गांवों में कष्टदायी जीवन व्यतीत करना होता है। बहुत से घरों में तो भोजन के भी लाले पड़ जाते हैं। विषैले जीवों से भी खतरा रहता है। जनपद में अगस्त से अक्टूबर तक बाढ़ का खतरा बना रहता है। कई बार बाढ़ प्रभावित इलाकों में बाढ़ के चलते ही दशहरा का आयोजन स्थगित करना पड़ा है। इस साल भी नदियों का रूख देख तटवर्ती लोगों सहमे हुए हैं। अगस्त की शुरुआत होते ही बाढ़ की स्थिति बनने लगी है।

chat bot
आपका साथी