सरयू लाल निशान पार, कटान तेज होने से गहराया संकट
जागरण संवाददाता बलिया जनपद में गंगा और सरयू नदी के तेवर तल्ख होते जा रहे हैं। रविवार
जागरण संवाददाता, बलिया : जनपद में गंगा और सरयू नदी के तेवर तल्ख होते जा रहे हैं। रविवार को सरयू चांदपुर में लाल निशान पार कर गईं। इससे तटवर्ती गांवों में बाढ़ के हालात बनने लगे हैं। कटान तेज हो गया है। बाढ़ प्रभावित गांवों में फसलों के डूबने की संभावना भी बढ़ गई है। चांदपुर में सरयू का जलस्तर 58.030 मीटर दर्ज किया गया। एक दिन पहले यहां जलस्तर 58.00 मीटर था। यहां खतरा बिदु 58.00 मीटर है। डीएसपी हेड पर जलस्तर 64.140 मीटर दर्ज किया गया। यहां खतरा बिदु 64.01 है। गायघाट में गंगा का जलस्तर 54.590 मीटर दर्ज किया गया। यहां एक दिन पहले जलस्तर 54.200 मीटर पर था। गंगा में 16 घंटे में 39 सेंटीमीटर बढ़ाव हुआ है। बढ़ाव की गति प्रति घंटा लगभग 2.5 सेमी. है। जनपद के कई स्थानों पर कटान का खतरा भी बढ़ गया है।
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रामगढ़ में एनएच-31 को बचाना बड़ी चुनौती
रामगढ़ में एनएच-31 से गंगा की दूरी महज 30 मीटर है। कटान से एनएच को बचाने के लिए सिचाई विभाग की ओर से तीन स्पर बनाए जा रहे थे, लेकिन समय से ठेकेदारों ने कार्य पूरा नहीं किया। तीन स्थानों पर लगभग 34 करोड़ की लागत से स्परों का निर्माण कराया जा रहा है। 1103.37 लाख से गंगा नदी के बाएं बलिया-बैरिया तटबंध की सुरक्षा हेतु पार्कोपाइन का कार्य। 1153.96 लाख से गंगा नदी किनारे स्थित बलिया-बैरिया तटबंध की सुरक्षा हेतु रिवेटमेंट कार्य। 1195.28 लाख से गंगा नदी किनारे स्थित बलिया-बैरिया तटबंध की सुरक्षा हेतु रिवेंटमेंट का निर्माण व स्पर का मरम्मत कार्य। कार्य को किसी भी दशा में 15 जून तक पूरा करना था। कार्य पूरा नहीं होने पर 31 जुलाई तक समय बढ़ाया गया, फिर भी ठेकेदारों ने कार्य पूरा नहीं किया। ऐसे में यदि रामगढ़ में गंगा कटान तेज होता है तो बलिया-बैरिया का आवागमन भी बाधित हो सकता है। सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं।
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कटान से बस्तियों में दहशत
जासं, दोकटी (बलिया) : गंगा के जलस्तर में वृद्धि व हवा के दबाव के कारण क्षेत्र में कटान तेज हो गया है। इससे तटवर्ती लोगों में दहशत व्याप्त है। कटान के मुहाने पर ग्राम पंचायत मुरारपट्टी के पुरवा दामोदरपुर, बहुआरा का पुरवा जगदीशपुर व नरदरा, शिवपुर कपूर दियारा का पुरवा गडेरिया, बिद बस्ती, जगदीशपुर बिद बस्ती, मझरोट बस्ती आदि गांव हैं। कटान स्थल से इन बस्तियों की दूरी 10 से 15 मीटर रह गई है।