करोड़ों खर्च, फिर भी बाढ़ व कटान की झेली तबाही
जागरण संवाददाता बलिया गंगा और सरयू दो नदियों की हर साल तबाही झलेने वाला जिला है बलिया।
जागरण संवाददाता, बलिया : गंगा और सरयू दो नदियों की हर साल तबाही झलेने वाला जिला है बलिया। हर साल यहां लगभग 10 लाख की आबादी बाढ़ और कटान से तीन माह तक परेशान रहती है। कभी गंगा गांवों के अस्तित्व को मिटाने पर अमादा हो जाती है तो कभी सरयू के चलते कई इलाकों का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। वर्तमान सरकार ने इस स्थिति को महसूस किया। बाढ़ और कटान से राहत दिलाने के कुल 12 नई परियोजनाओं के लिए 92 करोड़ रुपये आवंटित किए। इसके बाद भी कई स्थानों पर समय पर कार्य पूर्ण करने में सिचाई विभाग विफल रहा। प्रभावित इलाकों के लोग बाढ़ में आक्रोशित थे। सबसे ज्यादा तबाही दूबे छपरा और सिताबदियारा क्षेत्र में देखी। प्रभावित इलाके के लोगों ने बताया कि सिचाई विभाग यदि समय से सही तरीके से कार्य करा देता तो इतनी तबाही नहीं होती। बाढ़ के दौरान दूबे छपरा के समीपवर्ती गांव उदयी छपरा में 26 लोगों के मकान गिर गए। बेघर हुए लोगों में सुनील उपध्याय, मदन उपध्याय, महेंद्र चौधरी, परशुराम राम, संतोष राम आदि ने बताया कि सरकार सुरक्षात्मक उपायों के लिए धन खर्च करती है, लेकिन कार्य की निगरानी ठीक से नहीं होती। इसी लापरवाही के चलते हमारे मकान गंगा में समाहित हो गए।
----
125 करोड़ के रिग बांध की परियोजना भी अधूरी
वर्ष 2014 में सरयू से इब्राहिमाबाद नौबरार व सिताबदियारा में किसानों की लगभग 400 एकड़ भूमि और 350 मकान नदी में समा गए थे। वर्ष 2018 से इस इलाके के यूपी-बिहार दोनों सीमा के गांवों को सुरक्षित करने के लिए 125 करोड़ की परियोजना से नया रिग बांध बनाया जा रहा है। बिहार सीमा में 85 करोड़ से चार किमी में रिग बांध कार्य पूर्ण हो चुका है, लेकिन यूपी वाले भाग में 3.425 किमी में 40 करोड़ से यह कार्य तीन साल में भी पूर्ण नहीं हुआ। यूपी की लापरवाही से दोनों सीमा की लगभग 50 हजार की आबादी को इस साल भी बाढ़ की तबाही झेलनी पड़ी।
----
129 करोड़ से गंगा की धारा मोड़ने का कार्य भी अधूरा
कटान को लेकर ज्यादा चर्चा में दूबे छपरा रिग बांध रहा है। यहां पहली बार 27 अगस्त 2016 को यह रिग बंधा टूट गया था। लगभग 40 हजार की आबादी जलमग्न हो गई थी। उसके बाद 29 करोड़ के कटानरोधी कार्य को मंजूरी मिली। कार्य पूरा हुआ लेकिन 16 सितंबर 2019 को रिग बंधा दोबारा टूट गया। उसके अगले दिन 17 सितंबर 2019 को स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौके पर पहुंचे। आश्वासन दिए कि यहां नदियों की धारा को मोड़ने के लिए काम किया जाएगा। 129 करोड़ से रामगढ़ से ही गंगा की धारा को दूसरी दिशा में मोड़ने के लिए एक साल से ड्रेजिग कार्य हो रहा है, लेकिन उसकी गति भी धीमी है। इस वजह से बाढ़ के दौरान भारी संख्या में लोग बाढ़ की दुश्वारियां झेलने को विवश हुए।
----
इस साल समय से धन आवंटित होने से लाभ यह हुआ कि समय रहते खतरा लेवल से ऊपर तक का कार्य पूर्ण हो गया था। बाढ़ के दौरान जब नदियां उफान पर हुई तो कार्यों के बदौलत ही कहीं पर रिग बंधा या आबादी को नुकसान नहीं हुआ। नदी के तट पर मौजूद कुछ मकान जो कटान के मुहाने पर लंबे समय से थे, उनको क्षति पहुंची, लेकिन बाकी के मकान सुरक्षित रहे।
-- संजय कुमार मिश्र, अधिशासी अभियंता, सिचाई विभाग