करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं मिली कटान से मुक्ति, गंगा में समाते रहे गांव
जागरण संवाददाता मझौंवा (बलिया) गंगा व सरयू के बीच बसा द्वाबा लंबे समय से बाढ़ और कटान से
जागरण संवाददाता, मझौंवा (बलिया) : गंगा व सरयू के बीच बसा द्वाबा लंबे समय से बाढ़ और कटान से हर साल तबाही झेलता रहा है। इससे निजात दिलाने के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। यह अलग बात है कि कटान रोकने के नाम पर करोड़ों रुपये गंगा में बहा दिए गए। विभागीय भ्रष्टाचार के चलते कई गांवों का अस्तित्व समाप्त हो गया। कई गांव अभी भी कटान के मुहाने पर खड़े हैं। गंगा कटान में घर गिरने के बाद हजारों भूमिहीन एनएच-31 की पटरियों पर खानाबदोशों की जिदगी जीने को विवश हैं।
इस वर्ष गंगा ने बलिया सदर के रेपुरा, राजपुर इकौना, मठिया, सुजानीपुर, चैनछपरा, उदवंत छपरा, बजरहा, नेम छपरा आदि गांव की लगभग 100 एकड़ जमीन को अपने चपेट में ले लिया। अब आबादी पर खतरा है। ग्रामीणों की शिकायत के बाद मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल ने सिचाई विभाग के अधिकारियों को सुरक्षात्मक उपाय के लिए प्रस्ताव बनाकर देने को कहा था। सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता संजय मिश्र का कहना है कि इन गांवों को बचाने के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है। धन आवंटित होने के बाद कार्य कराया जाएगा। ग्रामीण अंजनी राय, दिनेश राय, मोती लाल चौधरी, विनोद चौबे, मुन्ना यादव, अखिलेश सिंह, धर्मेंद्र यादव, शिव आशीष यादव आदि का कहना है अगर समय से कटानरोधी कार्य प्रारंभ नहीं किया गया तो इन गांवों का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा।